कश्मीर के धार्मिक प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक शुक्रवार को वक्फ संशोधन विधेयक पर संसदीय पैनल के समक्ष पेश हुए और मसौदा कानून के बारे में अपनी आपत्तियां जताई. भाजपा नेता जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर जेपीसी के साथ बैठक में मुताहिदा मजलिस-ए-उलेमा के प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक गुरुवार को शामिल हुए.
वक्फ बिल पर समिति के समक्ष अपनी बात रखते हुए हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक ने बिल को लेकर अपनी आपत्तियां दर्ज कराई. मीरवाइज ने कहा कि जेपीसी को कश्मीर भी आकर लोगों से बात करनी चाहिए थी. बिल को लेकर अपनी आपत्तियां जताते हुए मीरवाइज ने समिति के सामने इससे भारतीय संविधान के कई अनुच्छेदों के उल्लंघन का भी हवाला भी दिया.
भारतीय संविधान का हुआ उल्लंघन
जैसे ही उन्होंने भारतीय संविधान के अनुच्छेदों का हवाला दिया तो सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कहा .. वाह भाई वाह . सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कहा कि वे यह देखकर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए कि आखिरकार मीरवाइज को समझ मैं आ गया है कि भारत का संविधान सर्वोपरि है.
इससे पहले उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, “जम्मू-कश्मीर एक मुस्लिम बहुल राज्य है और जम्मू-कश्मीर के लोगों की कई चिंताएं हैं जिन्हें हम आज जेपीसी के समक्ष रखने जा रहे हैं. हम इस पर एक विस्तृत ज्ञापन भी पेश करेंगे. हम अपने मुद्दों को चरणबद्ध तरीके से उठाएंगे और हमें उम्मीद है कि जेपीसी सदस्य हमारी चिंताओं का समाधान करेंगे.”
उन्होंने कहा कि वक्फ एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसका सामाजिक और धार्मिक दोनों तरह से प्रभाव पड़ता है…आप देख सकते हैं कि मस्जिदों और मंदिरों की बात होने पर पहले से ही तनाव का माहौल है. उन्होंने कहा कि ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाया जाए, जिससे नुकसान हो. हमें लगा कि जेपीसी कश्मीर आएगी. हम बहुत कम समय में यहां आए हैं.
एमएमयू ने बयान जारी कर कही थी ये बात
बुधवार को मीरवाइज की अध्यक्षता वाली मुत्तहिदा मजलिस-ए-उलेमा (एमएमयू) द्वारा जारी एक संक्षिप्त बयान में कहा गया कि प्रतिनिधिमंडल विधेयक के कुछ प्रावधानों पर अपनी कड़ी आपत्तियां व्यक्त करेगा, जिनका वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और स्वायत्तता तथा मुसलमानों, खासकर वंचितों के कल्याण पर दूरगामी प्रभाव पड़ने की आशंका है.
यह पहली बार है जब मीरवाइज, जो लगभग समाप्त हो चुके अलगाववादी समूह हुर्रियत कांफ्रेंस के प्रमुख भी हैं, पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद कश्मीर घाटी से बाहर आए हैं.