हमारे भी हैं ये ‘माननीय’ कैसे-कैसे !

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त न्याय मित्र वकील विजय हंसारिया तथा वकील स्नेहा कलिता ने शीर्ष न्यायालय को जो रिपोर्ट प्रस्तुत की है, उसके अनुसार सांसदों और विधायकों के खिलाफ़ मामलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। नवम्बर 2022 में सांसदों एवं विधायकों पर दर्ज मामलों की संख्या बढ़कर 5,097 हो गई। नवम्बर 2022 तक उत्तर प्रदेश में माननीयो पर सबसे अधिक 1,377 मामले दर्ज हैं। इसके बाद बिहार में 546 और महाराष्ट्र में 482 केस दर्ज हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 51 सांसदों पर मनी लॉन्ड्रिंग के मुकदमे दर्ज किये हुवे हैं।

यह हमारे लोकतंत्र की स्थिति हैं जहां राजनीतिक दल सीट जीतने के लिए बाहुबलियों और दबंगों को संसद तथा विधानसभाओं, विधान परिषदों के लिए उम्मीदवार बना देते हैं। बाहुबलियों और अराजकतत्वों को ‘माननीय’ बनाने के नेताओं के अपने-अपने तर्क है। एकबार पत्रकारों ने सपा नेता मुलायम सिंह यादव से पूछा कि आपने दस्यु सुन्दरी फूलनदेवी को पुनः टिकट क्यों दिया? तो उनका जवाब था कि टिकट गलत था तो जनता ने उन्हें क्यूं चुना। जातिवादी चुनावी व्यवस्था इन तत्वों के लिए संसद एवं विधानमंडलों के द्वार खोलती है। इस व्यवस्था में बाहुबलियों को अपनी जाति का बड़ा सहारा मिलता है। कुछ खास बिरादरियों ने तो अपने-अपने बाहुबली छांट लिये हैं। चुनावों, उप चुनावों में वे धड़ल्ले से मैदान में उतरते हैं और कामयाब होते हैं। यह स्थिति लोकतंत्र का मखौल उड़ाने जैसी स्थिति है। चुनाव में कालेधन के प्रयोग के साथ यह स्थिति भी लोकतंत्र की मर्यादा को लांछित करने वाली स्थिति है।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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