शाबास सौरभ चौहान शाबास !

इन दिनों इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया में गुजरात के विधानसभा चुनाव तथा उत्तर प्रदेश के उप चुनाव, दिल्ली नगर निगम के चुनाव छाये हुए हैं किन्तु ग्रामांचल के पत्रकार फिर भी कोई न कोई रचनात्मक एवं सुखद समाचार दे ही देते हैं।

मुजफ्फरनगर के तितावी क्षेत्र के लखान गांव से एक ऐसा ही सुखद समाचार आया है। मूल रूप से ग्राम नगला पिथौरा निवासी श्री विजय सिंह अब मुजफ्फरनगर के रामपुरी मोहल्ले में रहते हैं। उनका पुत्र सौरभ चौहान लेखपाल पद पर कार्यरत है। बृहस्पतिवार को सौरभ की बारात ग्राम लखान पहुंची। लड़की पक्ष ने बारात की खूब आवभगत करने के साथ स्वेच्छा से 11 लाख रुपये व सोने-चांदी के आभूषण दहेज में दिये। वर सौरभ ने दहेज के रुपये और आभूषण स्वीकार करने से साफ इंकार कर दिया और दहेज में केवल एक रुपया ही लिया। लोग सौरभ की भूरि-भूरि प्रशंसा कर रहे हैं किन्तु यक्ष प्रश्न यह है कि क्या समाज सौरभ का अनुकरण करेगा?

दहेज जैसी कुप्रथा के दुःखद दुष्परिणाम रोज़ सामने आते रहते हैं। दहेज देने लेने पर कानूनन प्रतिबंध के बावजूद यह कुप्रथा समाज के गरीब व मध्यम वर्ग को तबाह कर रही है किन्तु आदर्शों एवं लोकहित का ढोल पीटने वाला कोई भी नेता या समाज सेवी दहेज के विरुद्ध चट्टान बन कर नहीं खड़ा होता।

स्वाधीनता प्राप्ति के बाद 50-60 के दशक में दहेज के विरुद्ध कुछ सामाजिक चेतना जाग्रत हुई थी। सर्वखाप पंचायत सोरम ने एक रुपया दहेज और पांच बारातियों का प्रस्ताव पारित किया था। नेतागण भी समाज के समक्ष आदर्श प्रस्तुत करते थे। चौधरी चरण सिंह ने अपने पुत्र अजीत सिंह का विवाह अलीगढ़ में इंजीनियर सुखबीर सिंह की बेटी से पूर्ण सादगी के साथ संपन्न कराया था।

बिहार के मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकूर ने अपने पुत्र की शादी बिना तड़क-भड़क के सादगी से की थी। ग्राम बोपाडा के सम्पन्न वैश्य परिवार के मुखिया लाला लक्खोमल के सुपुत्र महेन्द्र पाल सिंह की बारात बुढ़ाना गई तो वर ने वहा तड़क भड़‌क देखी। वैश्य समाज विवाहों में सादगी बरतने का प्रस्ताव पास कर चुका था। वर ने यह देख भट्टी में लात मार दी। फलस्वरूप बारात को दाल-रोटी का सादा भोजन परोसा गया।मुजफ्फरनगर जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किसान नेता चौ. जगवीर सिंह अपने पुत्र के विवाह में 5 बारातियों के साथ गये थे और बिना दहेज का विवाह किया था। स्वाधीनता सेनानी लक्ष्मी चंद का परिवार लड़को की शादी में दहेज़ नहीं लेता।

लेकिन हमारे नेता समाज के सामने क्या आदर्श पेश करते हैं? तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने अपनी सहेली शशिकला के पुत्र को गोद लेकर दत्तक पुत्र की शादी में शान शौकत और फिजूलखर्ची के सभी रिकार्ड तोड़ डाले थे। लाखों मेहमानों को भोजन कराने को मीलों लम्बे शामियाने और भोजन परोसने को ट्रैक्टर ट्रालियां तथा 5000 कार्यकर्ता लगाए गए थे।

इन्दिरा गांधी के खास यशपाल कपूर की बेटी की शादी में पानी की तरह पैसा बहा था जिसका जवाब देना इंदिरा जी को भारी पड़ गया था।

समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव ने अपने पुत्र अखिलेश की शादी में दिल्ली, लखनऊ और सैफई में आलीशान ‘समाजवादी’ भोज दिए। जिनमें 85 प्रकार के व्यंजन, 70 हजार रुपये के हवाई जहाज के जरिये मगाये गए बनारसी पान और 80 हजार रूपये का बिसलेरी पानी परोसा गया था।

यह हमारे नेताओं की कथनी व करनी का नजारा है। ऐसे में सौरभ चौहान जैसा नौजवान साहस दिखाता है तो समाज को उसी से प्रेरणा लेनी चाहिए।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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