मीडिया से क्यूं बिदकते हैं राहुल?

संसद की सदस्यता गंवाने के बाद अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने क्या नई बात कही, इस पर आगे लिखेंगे, पहले कल यानी 24 मार्च को मीडिया पर जो तंज कसा, उसका उल्लेख करते हैं। कल जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे संसद भवन की सीढ़ियां उतर रहे थे तब उन्हें सहारा देने को राहुल ने उनका हाथ पकड़ लिया। इस पर कुछ प्रेस फोटोग्राफरों ने इसका फोटो खींच लिया। इस पर राहुल गांधी भड़क गए। बोले- ये (मीडिया) कहते हैं कि मैं आपकी (खरगे) पीठ में अपनी नाक पोंछ रहा हूं। कोरी बकवास! क्या आपने देखा है? श्री खरगे का हाथ पकड़ कर सीढ़ियां उतारने में मदद करने पर किसी मीडियाकर्मी ने कोई टिप्पणी नहीं की थी। सिर्फ कुछ फोटोग्राफरों ने फोटो खींचे थे। मीडिया कर्मियों को देखते ही उनकी झुंझलाहट सामने आगई।

राहुल ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में भी पत्रकारों के प्रश्नों पर अपनी बौखलाहट व असहनशीलता का परिचय दिया। उन्होंने कांग्रेस के ढिंढोरची माने जाने वाले पत्रकार राजदीप सरदेसाई को बुरी तरह लताड़ दिया। जी टी.वी. के पत्रकार रवि त्रिपाठी ने राहुल गांधी से प्रश्न किया कि आप अडानी को देश का भ्रष्ट व्यक्ति बता रहे हैं लेकिन आपके दायें-बायें बैठे आपकी पार्टी के ये दो मुख्यमंत्री अडानी से मिल कर धंधा क्यों चला रहे हैं? इस पर राहुल भड़क गए। उनके पास बैठे अशोक गहलोत व भूपेन्द्र बघेल के मुँह लटक गए। रवि त्रिपाठी के प्रश्न का जवाब देने के बजाय राहुल ने पत्रकार को धमकाते हुए कहा- आप बीजेपी के लिए काम करते हो। बैठ जाओ। त्रिपाठी के बैठ जाने पर राहुल ने तंज कसा- ‘देखा, निकल गई न हवा।’

प्रेस की आजादी का गला घोट ने और असहिष्णुता का आरोप लगाने वाले राहुल गांधी सैकड़ों बार पत्रकारों से दुर्व्यवहार कर चुके हैं। इनके नेता व प्रवक्ता भी बदतमीजी पर उतर आते हैं। इसका कारण शायद यह है की जब राहुल ने संसदीय मर्यादाओं को तार-तार करते हुए संसद में ज्योतिरादित्य सिंधिया को आंख मारी जब नरेन्द्र मोदी को जलीकटी सुनाने के बाद उनसे गले मिलने की नौटंकी की, जब संसद में बोलने पर भूकंप आने की डींग हांकी, बिना लोकसभा अध्यक्ष की अनुमति के दो गिनट का मौन रखने की घोषणा कर 32 सेकेंड में ही बैठ गए, चौकीदार चोर पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार, भारत जोड़ो यात्रा में टीशर्ट के नीचे गर्म इनर पहनने की सच्चाई और आटा 40 रुपये लिटर, दुर्भाग्य से एम.पी बनने जैसी बातों को उजागर करने पर ही वे मीडिया पर खार खाये बैठे हैं।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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