गोमांस खायेंगे, गोमूत्र से बिदकेंगे !

अधिक दिनों की बात नहीं, लोकसभा 2024 के चुनाव प्रचार के दौरान के कुछ वीडियो आपके जेहन में होंगे। हमें तो याद है। संसद में फिलिस्तीन जिन्दाबाद का नारा लगाने वाले असदुद्दीन ओवैसी का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह एक कसाई के जिबहखाने के सामने खड़ा कह रहा था- ‘काटते रहो, काटते रहो।’ हालांकि कटी हुई गाय को ब्लर (धुंधला) कर दिया गया था। ओवैसी के वे ऑडियो भी वायरल हुए जिसमें वह कह रहा था- ‘बीफ’ (गोमांस) खाना है तो हमें जिताओ।

गोमांस के सार्वजनिक प्रचार का एक वीडियो बहुत वायरल हुआ था जिसमें कर्नाटक युवा कांग्रेस के लोगों ने खुले में गाय के बछड़े को काटा और सड़क पर ‘बीफ पार्टी’ दी।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश जस्टिस मार्कण्डेय काटजू ने कहा- ‘हाँ, मैं खाता हूँ, बीफ, बिगाड़ों, मेरा क्या बिगाड़ते हो।’

तब सारे गंगा-जमुनी तहजीब वाले, भाईचारा वाले और सेक्युलरवाद के ध्वजवाहक चुप रहे, सब के होठ सिलगए। और अब इन भाईचारा वालों का कमाल देखिए 19 जनवरी, 2025 को एक गोष्ठी में मद्रास आईआईटी के निदेशक डॉ. कामकोटि ने कहा कि हमें विदेशी संकर प्रजाति की गायों के बजाय देसी (गिर, साहीवाल, थारपारकर, आदि) नस्लों की गायों का संवर्द्धन और संरक्षण करना चाहिये क्योंकि देसी गाय का दूध, मक्खन, घृत, गोबर यहां तक कि देसी गाय का मूत्र भी रोग नाशक होता है।

डॉ. कामकोटि के इस कथन के बाद तो सेक्युलरवादियों का पारा सातवें आसमान पर आ गया। यह सोचे बिना कि डॉ. कामकोटि विज्ञान के ज्ञाता उच्च श्रेणी के विद्वान हैं, उनके कथन में कुछ सार होगा, वोटार्थी नेता उनके विरुद्ध अनर्गल प्रलाप करने लगे। सनातन को डेंगू बीमारी बताने वाली पार्टी- द्रमुक के नेता टी.के.एस. एलंगोवन, पी. चिदम्बरम के बेटे कीर्ति चिदम्बरम, टी.डी.पी. के रामकृष्णन ने डॉ. कामकोटि को गिरफ्तार करने, पद से हटाने और बयान के लिए माफी मांगने की मांग कर दी।

समझने की बात है कि डॉ. कामकोटि सड़‌कछाप वोट बटेरु नेता नहीं अपितु प्रतिष्ठित वैज्ञानिक संस्थान के निदेशक हैं। उनके कथन को हवा में नहीं उड़ाया जा सकता। उनके कथन के पीछे ठोस वैज्ञानिक विश्लेषण और तथ्य हैं। अनुसंधानों तथा वैज्ञानिक विश्लेषणों से पक्के दौर पर प्रमाणित हो चुका है कि गोमूत्र में जीवाणुरोधक, कवकरोधी, पाचनतंत्र को व्यवस्थित करने के गुण होते हैं। गोमूत्र एंटी माइक्रोबियल एंटीफंगलस होता है, साथ ही इसमें यूरिया, क्रिएटिनिन, आयरन, हाईड्रोक्साइड, कार्बोलिक एसिड, मैंगनीज होता है। गोमूत्र विटामिन ए, बी.सी.डी.वाई से युक्त है। लैक्टोज, एंजाइम, सिलिकॉन, क्लोरीन, मैजिक जहरीले रसायनों को शुद्ध‌ करता है। गोमूत्र कृमिनाशक, त्वचा विकार, खुजली, जलोदर में लाभदायक है। कुष्ठरोग, बुखार, पेप्टिक अल्सर, यकृत(लीवर), गुर्दा (किडनी), सांस रोग, खांस (अस्थमा), सोराइसिस, अल्परक्त (एनीमिया) आदि रोगों को ठीक करने में मदद‌गार है।

गोमूत्र के नाम से भिन्नाये ये वे ही लोग हैं जो सड़े हुए शीरे से बने अल्कोहल को मजे से गटक जाते हैं और बीमार होने पर कॉड लिवर तेल (मछली का तेल) तथा चूजे का सूप गटागट पीते हैं। इनका एकमात्र लक्ष्य तुष्टीकरण, भारतीय परम्पराओं, भारतीय चिकित्सा पद्धति (आयुर्वेद) का विरोध करना है। अपनी ऊलजलूल बकवास के लिए माफी तो इन्हें डॉ. कामकोटि से मांगनी चाहिए।

हैरत इस पर भी है कि गाय को माता के रूप में पूजने वाले, और आयुर्वेद का गुणगान करने वाले देश में कोई डॉ. कामकोटि की बात को समर्थन देने आगे नहीं आया।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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