जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सोमवार को कहा कि सरकार केंद्र शासित प्रदेश को राज्य का दर्जा देने की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने आज जम्मू में जम्मू-कश्मीर विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन अपने अभिभाषण के दौरान यह बात कही. इसके अलावा सरकार जम्मू-कश्मीर में समय पर पंचायत, स्थानीय निकाय चुनाव सुनिश्चित कराने की कोशिश में जुटी हुई है.
एलजी ने कहा कि सरकार तब तक हितधारकों के साथ बातचीत करने के लिए प्रतिबद्ध है जब तक कि राज्य का दर्जा पाने की इच्छा पूरी नहीं हो जाती. सरकार कश्मीरी पंडितों की वापसी को सुगम बनाने, उनके लिए सुरक्षित और अनुकूल माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा, “यह बजट केवल फाइनेंशियल डॉक्यूमेंट नहीं है, बल्कि एक उज्जवल भविष्य के लिए जनता की आशाओं और आकांक्षाओं को भी दर्शाता है.
केंद्र शासित प्रदेश में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व वाली सरकार के गठन के बाद से यह दूसरा विधानसभा सत्र है, जो ऐतिहासिक महत्व रखता है. सिन्हा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह बजट सात वर्षों में पहली बार है, जिसे निर्वाचित सरकार द्वारा पेश किया गया है, जो लोगों की शक्ति और उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों की आकांक्षाओं का प्रतीक है.
विधानसभा में इन मुद्दों पर बरप सकता है हंगामा
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने ये बयान क्षेत्र में बढ़ती राजनीतिक गतिविधियों के बीच आए हैं, जहां विपक्षी दल कई विवादास्पद मुद्दों पर सरकार को चुनौती देने के लिए कमर कस रहे हैं. एलजी के अभिभाषण के साथ आज शुरू हुए बजट सत्र में गरमागरम बहस होने की उम्मीद की जा रही है क्योंकि बीजेपी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस सहित विपक्षी दल कई मुद्दों पर सरकार को घेरने के लिए तैयार हैं. जम्मू-कश्मीर के विधानसभा सत्र में प्रमुख मुद्दों में चुनाव करवाने, अनुच्छेद 370 की वापसी और आरक्षण का मौजूदा मुद्दा शामिल रहने की संभावना है.