इससे बड़ी विडम्बना क्या होगी कि जिस देश में स्त्री को देवी माना जाता हो और वर्ष में दो-दो बार देवी पूजा (नवरात्रों) का आयोजन होता हो वहां बलात्कार जैसे जघन्य अपराध राजनीति चमकाने और वोट बैंक बनाने के ओछे शर्मनाक हथकंडों के रूप में इस्तेमाल किये जाते हों, वह भी खुली बेशर्मी के साथ। ऐसा लगता है कि इस देश के नर पिशाचों के सिर नारी के उत्पीड़न व यौन शोषण का राक्षस स्थायी रूप से सवार है और उन्हें ना समाज का खौफ हैं, न ख़ुदा का, न कानून का। पिछले मास नारी उत्पीड़न की कुछ घटनाएं प्रकाश में आई। एक घटना मध्यप्रदेश की थी जिसमें डीजीपी स्तर का एक अधिकारी अपनी पत्नी को बुरी तरह पीट रहा था। घटना उक्त आईपीएस अधिकारी की व्यवचार वृत्ति से संबध थी, रंगे हाथों पकड़े जाने पर वह वीडियो में अपनी पत्नी को पीटता दिखाई दे रहा था। इस वीडियो का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उक्त पुलिस अधिकारी को नौकरी से हटा दिया और जांच बैठा दी। इसी बीच उत्तरप्रदेश के हाथरस, बलरामपुर, राजस्थान और झारखंड में बलात्कार की घटनायें हुई।
हाथरस की घटना को लेकर विशेषकर प्रियंका, राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी तथा राष्ट्रीय लोकदल, आम आदमी पार्टी के नेता सक्रिय हो गए। बलात्कार तो बलरामपुर में भी हुआ रहा था लेकिन विपक्षी नेताओं तथा सभी टीवी चैनलों ने हाथरस की घटना का तमाशा बना दिया। यहां तक की राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके प्रतद्वंद्वी सचिन पायलट ताल ठोक कर हाथरस कांड के विरोध में मुखर हो गए। गहलोत के राज में इसी दौरान सामूहिक बलात्कार की दो घटनाएं हुई। गहलोत साहब व सचिन पायलट कदमताल करते हुए हाथरस की घटना को बड़ा कांड बताते हैं, और राजस्थान के सामूहिक बलात्कार को छोटा बताते हैं। गहलोत साहब ने तो निहायत बेशर्मी से कहा कि ये लड़कियां अपनी मर्जी से बलात्कारियों के साथ गई थीं जबकि दुष्कर्मी उन्हें तीन-तीन शहरों में ले गए। इसी प्रकार छत्तीसगढ़ की सामूहिक बलात्कार और पीड़िता द्वारा आत्महत्या की घटना प्रकाश में आई। इंडिया टीवी ने कई प्रामाणिक वीडियो प्रसारित किए जिसमें प्रमाणित हो गया कि थानेदार ने रिश्वत लेकर बलात्कारियों को छोड़ दिया और लड़की के पिता ने ज़हर खाकर प्राण देने की कोशिश की। इसी प्रकार देवरिया में जिला कांग्रेस कार्यालय में एक महिला कांग्रेस कार्यकत्री को बुरी तरह पीटा गया। क्योंकि महिला ने उप चुनावों में बलात्कारी कांग्रेस नेता को टिकट देने का विरोध किया था। कांग्रेस कार्यालय में हुई गुंडागर्दी का वीडियो कई चैनलों पर वायरल हुआ लेकिन प्रियंका वाड्रा और राहुल या उनके प्रचारकों ने देवरिया जाना मुनासिब नहीं समझा। नारी उत्पीड़न पर यह दोगला चरित्र क्षम्य नहीं है। इस घटना के लिए प्रियंका व राहुल को देवरिया जाकर पीड़ित महिला से माफी मांगनी चाहिए।
अफसोस और अत्यधिक लज्जानक स्तिथि है कि प्रियंका व राहुल, संजय सिंह, जयंत चौधरी व अखिलेश के चेले ही नहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री व ममता तक हाथरस की घटना पर स्यापा करते रहे लेकिन बलरामपुर, कोटा, छत्तीसगढ़ व पश्चिमी बंगाल में हुए जघन्य कांड का जिक्र तक नहीं किया। बलरामपुर के बलात्कार पर भी वे चुप है क्योंकि दोषी उनके वोट बैंक के लोग है। कांग्रेस व विपक्ष के इस बेशर्मी व जलालत की निन्दा के लिए कोई शब्द नहीं हैं। इन लोगों ने बलात्कार जैसे कुकृत्य को भी अपनी राजनीति का मोहरा बनाकर नारी शोषण में बलात्कारियों जैसा ही कुकृत्य किया है। जो लोग बलात्कार को छोटा व बड़ा करके देखते हैं वे मनुष्य न होकर इंसान के रूप में भेड़िये है। देर सवेर इनको इनके कुकर्म की सजा मिलना लाजमी है। सभी को समझ लेना चाहिए कि बेटियां हिन्दू-मुस्लिम या दलित व गैर दलित नहीं होती। ये सिर्फ बेटियां हैं जिनकी मान-मर्यादा एवं शील की रक्षा करना हम सब का परम कर्तव्य है। इनकी अस्मत से खेलने वाले की गिनती हैवानों से होगी।
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’