यमुनानगर सिविल अस्पताल के आधुनिक बाल चिकित्सा केंद्र में सोमवार रात चार दिन के नवजात जुड़वा बच्चों में से एक की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही से बच्चे की मौत हुई। बच्चे की गंभीर हालत के बारे में उन्हें समय रहते सूचना नहीं दी गई। मौत के बाद उन्हें कहा गया कि वह बच्चे को पीजीआई चंडीगढ़ ले जाएं। वहीं, डॉक्टरों ने आरोपों को निराधार बताया। आधुनिक बाल चिकित्सा केंद्र में एनएचएम का जो स्टाफ है वह सोमवार से तीन दिन की हड़ताल पर है।
शहर के चांदपुर निवासी आबिद ने बताया कि जगाधरी के निजी अस्पताल में उसकी पत्नी महरूबा ने 24 जून को जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था। इनमें एक लड़का व लड़की थी। अस्पताल की डॉक्टर ने बताया था कि दोनों बच्चे कमजोर हैं इसलिए उन्हें शीशे में रखना पड़ेगा। दोनों को सिविल अस्पताल यमुनानगर के आधुनिक बाल चिकित्सा केंद्र में शीशे में रखा गया था। सोमवार रात उन्हें बताया कि बेटे की हालत खराब है इसलिए वह उसे पीजीआई चंडीगढ़ ले जाएं।
आबिद का आरोप है कि जब उन्हें इस बारे में बताया गया तो बच्चे की मौत हो चुकी थी। अस्पताल के डॉक्टरों ने इसकी सूचना उन्हें समय रहते नहीं दी। यदि समय रहते बताया होता तो शायद उसका बच्चा जिंदा होता। देरी से सूचना दिए जाने का परिजनों नें अस्पताल में डॉक्टरों का विरोध किया और कार्रवाई की मांग की। बाद में परिजन मृतक बच्चे को घर ले गए। साथ ही अपनी बच्ची को भी वह लेकर चले गए।
वहीं आधुनिक बाल चिकित्सा केंद्र की डॉ. पारूल वशिष्ठ का कहना है कि 18 वर्षीय महरूबा को जुड़वां बच्चे हुए थे। उसके बेटे का वजन दो किलो व बेटी का वजन महज 400 ग्राम था। दोनों की शीशे में ठीक से देखभाल की जा रही थी। उसका बेटा जन्म के बाद देरी से रोया था। उसे एक बार दौरा भी पड़ चुका था। इसके अलावा उसे सांस लेने में भी दिक्कत थी। सोमवार शाम पांच बजे बच्चे की दादी अस्पताल में थी, जिन्हें बता दिया गया था कि बच्चे की हालत खराब है इसलिए वह उसे पीजीआई ले जाएं। उसकी दादी ने कहा था कि थोड़ी देर में उसका बेटा आने वाला है। इसलिए उनसे बात करके ही वह उसे कहीं ले जाएंगे। डॉक्टर के मुताबिक बच्चे का पिता रात साढ़े आठ बजे अस्पताल में पहुंचा। नौ बजे के बाद बच्चे की मौत हो गई। परिजन यदि समय रहते अस्पताल में आकर बच्चे को ले जाते तो शायद वह बच जाता। गलती उनकी खुद की है लेकिन लापरवाही के झूठे आरोप डॉक्टर पर लगाए जा रहे हैं।
डॉ. पारूल के अनुसार आधुनिक बाल चिकित्सा केंद्र में 25 से 30 कर्मचारियों का स्टाफ एनएचएम के तहत लगा हुआ है। पूरा स्टाफ तीन दिन की हड़ताल पर है। वहीं, सिविल अस्पताल जगाधरी से भी 15 बच्चे अचानक यमुनानगर रेफर कर दिए गए थे। स्टाफ न होने के बावजूद डॉक्टरों ने अपने स्तर पर सभी बच्चों का पूरा ध्यान रखा।