रिश्वत, सिफ़ारिश, बिरादरी और नौकरी !

भारत सरकार के सहकारिता एवं गृहमंत्री अमित शाह ने 15 जून को लखनऊ में सिपाहियों के पद पर नियुक्त 60244 युवक-युवतियों को नियुक्ति पत्र जारी किये। साथ ही 15 लोगों को प्रतीकात्मक रूप से नियुक्ति पत्र प्रदान भी किये। गृह मंत्री ने कहा कि ये नियुक्तियां बिना रिश्वत, बिना पर्ची और बिना सिफारिश के योग्यता के आधार पर हुई हैं जिसका श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जाता है।

मुख्यमंत्री योगी जी ने नवनियुक्त सिपाहियों से कहा कि वे गुण्डा-माफिया से डरें नहीं और आमजनता, गरीब, पीड़ित के प्रति संवेदनशील बनें ताकि वे उन्हें अपना मसीहा मानें। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ में पुलिस के व्यावहार की सराहना हुई है।

बहुत अधिक समय नहीं हुआ, जब उत्तर प्रदेश में ट्रांसफर पोस्टिंग का उद्योग चलता था। किस सरकारी नौकरी के लिए कितने रुपये लिए जाने हैं, इसकी रेट लिस्ट असेंबली हाउस से लेकर एनेक्सी के पंचम तल तक हवा में तैरती थी। इसी माहौल में सहारनपुर में ऐसे 1300 अभ्यर्थियों की सिपाही पद पर भर्ती हुई जो एक ही बिरादरी के थे और मैनपुरी, एटा, इटावा के मूल निवासी थे।

पीसीएस पद पर 84 प्रत्याशियों में से 68 अभ्यर्थी एक ही जाति के नियुक्त हुए तो अदालत को कहना पड़ा कि क्या सारी बुद्धि भगवान ने एक खास बिरादरी के अभ्यर्थियों को प्रदान की है।

कभी सरकारी भर्तियों में यह खेल धड़ल्ले से होता था। योगी राज में स्थिति बदल चुकी है, यद्यपि बिचौलिये और दलाल मायूस हैं।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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