मुजफ्फरनगर की ई-रिक्शायें और जाम का झाम !

शहर में यह धारणा बन गई है कि अत्यधिक संख्या में ई. रिक्शाओं के परिचालन के कारण मुजफ्फरनगर की मुख्य सड़‌कों पर जाम की स्थिति रहती है। कुछ दिनों से प्रशासन और ई-रिक्शा चालकों के बीच बैठके चल रही हैं किन्तु अभी तक कोई निश्चित निर्णय नहीं हो सका है।

पुलिस अधीक्षक यातायात अतुल दुबे के अनुसार शहर में 10 हजार ई-रिक्शा चल रही हैं। ढाई हजार पंजीकरण लाइन में है। रिक्शा चालकों का कहना है कि बिना लाइसेंस के बहुत रिक्शायें चल रही हैं, उन्हें पकड़ा जाना चाहिए। परिवहन विभान ने धर पकड़ की तो मात्र 270 रिक्शायें पकड़ी गईं।

पहले 13 रूटों की बात चली जिसे रिक्शा चालक यूनियन ने अस्वीकार कर दिया। फिर 5 रूट तय किये गए। रिक्शाओं की छत अलग-अलग रंग की होने की बात सामने आई। कहा गया कि किराया भी नये सिरे से तय होगा। इस समय 10 रुपया प्रति सवारी तय है। रूट निर्धारण के बाद यदि किसी को अस्पताल चौराहे से प्रेमपुरी अथवा कृष्णा पुरी जाना है तो उसे दो बार रिक्शा करनी होगी। इसी प्रकार गाजीवाला पुलिया या कच्ची सड़क से नुमाइश कैम्प या मंगल बाजार जाने वाले यात्री को भी दो-दो रिक्शायें करनी होंगी। जानसठ एवं भोपा रोड पहुंचने वाले यात्रियों के समक्ष भी यही परेशानी खड़ी होगी।

रिक्शा संचालन के समय को लेकर भी असहमति और विवाद है। रिक्शा संचालन का समय प्रातः 7 बजे से रात्रि 11 बजे निर्धारित किया गया है। यह तुगलकी फरमान क्यों जारी किया गया, यद्यपि यह अभी लागू नहीं हुआ। ई-रिक्शा चालकों के साथ ही सवारियों से भी तो रिक्शा संचालन की समय अवधि के विषय में पूछा जाता।

मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन और रोडवेज बस स्टैंड से प्रातः 7 बजे से पूर्व कई ट्रेनें व बसें आती-जाती हैं। 11 बजे के बाद देर रात्रि ट्रेन से उतरने वाले यात्री अपने घरों तक कैसे पहुंचेंगे। पालिका चेयरपर्सन, एसपी यातायात और ई.ओ के पास तो सरकारी तथा निजी वाहन हैं। उन्हें आधी रात को स्टेशन पहुंचने में कोई परेशानी नहीं, लेकिन आम नागरिक कैसे गन्तव्य तक पहुंचेगा?

एक सामान्य, वाहन से वंचित व्यक्ति परिवार के बीमार सदस्य को 11 बजे रात्रि के बाद जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड तक किस वाहन से ले जाए? रूट व समय निर्धारण पर विचार के समय उन सवारियों की दिक्कतों व सुविधाओं का भी तो ध्यान रखा जाना चाहिए जिनके दम पर हजारों रिक्शायें चल रही हैं और दिनों दिन इनकी तादाद बढ़ती जा रही है।

प्रशासन को यह कड़वी सच्चाई स्वीकार करनी होगी कि शहर में प्रतिदिन लगने वाले जाम का अकेला कारण सिर्फ ई-रिक्शायें नहीं है। नगर के सभी मुख्य मार्गों पर, बाजारों में स्थायी, अस्थायी अतिक्रमण की भरमार है। दुकानदार अपना कुछ सामान, फ्रिज, कूलर या एसी के बड़े बड़े डिब्बे अथवा पैकिंग सड़क पर रख देते हैं। फिर दुकानों के समक्ष अपने दुपहिया वाहन 12-12, 14-14 घंटों तक खड़े रखते हैं। दुकानों पर आने वाले ग्राहकों के वाहन भी वहीं खड़े होते हैं। कुछ दु‌कानदार तो मासिक वसूली कर के ठेले व खोमचे बालों को बारहों महीने खड़ा रखते हैं।

दुकानदारों द्वारा जबरिया किये गए अतिक्रमण से आमजन को भारी असुविधा होती है और घंटों-घंटो शहर में जाम की स्थिति रहती है। प्रशासन अस्थायी अतिक्रमण हटवाता है तो छुटभैये नेता कब्जा धारियों के पक्ष में खड़े हो जाते हैं। अतीत में कई नेताओं ने सस्ती लोकप्रियता के लिए शहर में स्थायी अतिक्रमण भी करा दिये थे और अतिक्रमण हटाने पर प्रभात चतुर्वेदी एवं डॉ. प्रभात कुमार जैसे कर्तव्यनिष्ठ एवं योग्य जिला अधिकारियों का असमय ही स्थानांतरण हो गया था।

यदि प्रशासन शहर को जाम के झाम से मुक्त करना चाहता है तो पहले शहर एवं नई मंडी के तमाम स्थायी एवं अस्थायी अतिक्रमणों की वीडियोग्राफी कराये। तत्पश्चात व्यापारी संगठनों के पदाधिकारियों को बुला कर उन्हें वास्तविकता से रूबरू करे और फिर विधिवत नोटिस देने के बाद अतिक्रमण विरोधी अभियान शुरू करे। जो लोग अस्थायी अतिक्रमण हटाये जाने पर पुनः अतिक्रमण करने के अभ्यस्त हो चुके हैं, उन्हें बेहिचक जेल भेजा जाना चाहिए। ई-रिक्शाओं के परिचालन पर विचार के समय सवारियों की सुविधा का ध्यान रखा जाना आवश्यक है।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here