गुर्जर गांधी- रामचन्द्र ‘विकल’
सरलता, सादगी, निःस्वार्थ जनसेवा में जीवन समर्पित किया। 8 नवंबर, 1916 को नयागांव बसंतपुर (गौतमबुद्धनगर) में जन्म। 5 बार विधायक, 2 बार सांसद निर्वाचित। उत्तर प्रदेश सरकार ने वन, कृषि, पशुपालन, सिंचाई, कारागार, आबकारी मंत्री रहे। नेशनल सीड्स कॉर्पोरेशन, फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन रहे। उन्नतिशील बीजों का प्रमाणीकरण, पंजीकरण कानून कराया। शाहदरा-सहारनपुर छोटी रेल लाइन को ब्रॉड गेज लाइन में बदलवाया। फैजाबाद, कानपुर में कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना कराई। संयुक्त विधायक दल के नेता निर्वाचित किन्तु नेता का ताज चौ. चरणसिंह को पहना दिया। 25 जून 2011 को निधन। श्री गुरुदत्त आर्य के साथ गाजियाबाद जा कर आरष्ठी में शामिल हुआ। उनके पिता समान स्नेह-प्रेम को मृत्यु पर्यन्त तक नहीं भुला सकता। विनम्र श्रद्धांजलि।
वन्दे मातरम के रचयिता को प्रणाम !
गुलाम भारत में राष्ट्रप्रेम का शंखनाद फूंकने वाले बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय, मर कर भी अमर हैं। उनकी जीवन्त अजर अमर आत्मा को कोटि-कोटि प्रणाम। 27 जून, 1838 में बंगाल के कंठालपाड़ा नैहाटी में जन्म। 8 अप्रैल 1894 में निधन। उपन्यास ‘आनंदमठ’ में राष्ट्रगीत वन्दे मातरम सन् 1870 में लिखा। अखिल भारतीय कांग्रेस के कलकत्ता महासम्मेलन में (सन् 1896) राष्ट्रगीत के रूप में गाया गया। रवींद्रनाथ टैगोर ने स्वरबद्ध किया। ‘देहात’ के संस्थापक संपादक पिताश्री राजरूप सिंह वर्मा उर्दूदां थे किन्तु बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय की हिन्दी में अनुवादित ‘आनंदमठ, कपाल कुण्डली, दुर्गेश नंदिनी’ उपन्यासों की प्रतियां खरीद ली थीं। मैंने किशोर अवस्था में ही इन्हें पढ़ लिया था। वन्दे मातरम की स्वर लहरी आज भी राष्ट्रभक्तों को अनुप्राणित करती है। बार-बार प्रणाम !
देश की पहली मुख्यमंत्री- सुचेता कृपलानी !
जन्म- 25 जून, 1908 अंबाला। स्वाधीनता संग्राम सेनानी। बंगाली मजूमदार परिवार। हैदराबाद सिंघ (अब पाकिस्तान) के सिंधी परिवार के प्राचार्य जे.बी.कृपलानी (जीवटराम भगवानदास कृपलानी) से विवाह। जवाहरलाल नेहरू ने कांग्रेस के महारथी नेता चंद्रभानु गुप्त को हटा कर सुचेता कृपलानी को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी की तो राज्य की राजनीति में खूब तहलका मचा। 1963 से 1967 तक उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं।
मुख्यमंत्री के रूप में मुजफ्फरनगर आईं। किसानों से पूछा- क्या रजवाहों-गूल तक नहरी पानी आता है? खतौली में सरकारी अस्पताल बनाने के लिए मुजफ्फरनगर के प्रमुख वकील बाबू बनारसीदास ने अपनी कई बीघा कीमती जमीन सरकार को दान की थी। सुचेता कृपलानी ने अस्पताल का उद्घाटन किया था। उद्घाटन समारोह में पिताश्री के साथ मैं भी सम्मिलित था।
बाबू बनारसीदास जी के पुत्र राजेन्द्र गर्ग एडवोकेट उत्तर प्रदेश सरकार से दशकों से आग्रह कर रहे हैं कि करोड़ों रुपये की भूमि को दान करने वाले उनके पिता का नाम अस्पताल पर लिखा जाए किन्तु उनकी न्यायोचित मांग अभी तक स्वीकार नहीं हुई, शायद ब्यूरोक्रेसी ने फाइलों के जंगल में कहीं गुम कर दी है। सरकार जिला मुख्यालय के सरकारी अस्पताल का नाम स्वामी कल्याण देव अस्पताल रख सकती है, तो करोड़ों रूपये मूल्य की भूमि देने वाले शख्स के नाम पर खतौली के अस्पताल का नाम रखने में परेशानी क्या है? अस्पताल पर नियंत्रण तो सरकार का ही रहना है। राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल को इस दिशा में प्रयास करना चाहिए।
आरक्षण के मसीहा- शाहूजी महाराज !
राजशाही के चलते दलितों, पिछड़ों को सरकारी नौकरी में आरक्षण देना क्रांतिकारी कदम था। कोल्हापुर नरेश छत्रपति शाहू जी महाराज ने सन् 1902 में सरकारी आरक्षण का नोटिफिकेशन जारी किया। जातिवाद, सामाजिक कुरीतियों को दूर करने को नियम बनाये। कुप्रथाएं रद्द की। 20 जून, 1874 में सतारा में जन्म। 6 मई 1922 को निधन। तब आरक्षण सेवा, आज वोट बैंक की राजनीति !
तरुण संन्यासी- कड़वे वचनों की मिठास !
पूरे देश में युवा सन्यासी मुनि तरुण सागर महाराज के कड़वे प्रवचनों की चर्चा थी। लालकिला दिल्ली से राष्ट्र को संबोधित किया। कई विधानसभाओं में प्रवचन दिये। अहिंसा महाकुम्भ प्रारंभ कराया। पूर्णतः पंथ निरपेक्ष।
मध्यप्रदेश के दमोह जिले के छोटे से गांव गुहांची में 25 जून, 1967 में जन्म। 13 वर्ष की आयु में गृह त्याग। 20 वर्ष की आयु में दिगम्बर मुनि बने। लव जिहाद, तीन तलक, मांसाहार, पश्चिम का अंधानुकरण, सामाजिक कुरीतियों पर धारदार प्रहार।
सन् 2013 में मुजफ्फरनगर पधारे। टाऊन हॉल मैदान में कई दिन ‘कड़क करारी’ आवाज़ में सुनाई खरी-खरी सच्ची बातें। हजारों का जन समूह मंत्रमुग्ध होकर सुनता था।
पीलिया के कारण 1 सितंबर 2018 को शरीर त्यागा। अभी तरुण तपस्वी की देश को ज़रूरत थी। हमारी श्रद्धांजलि !
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’