मुजफ्फरनगर के चरथावल ब्लाक के ग्राम सिकंदरपुर के ग्रामीणों ने कमाल का काम किया है। यह गांव हिंडन नदी के किनारे बसा है। नदी के पार भी गांव का जंगल (खेत) हैं और शमशान घाट भी नदी के पार है। बरसात में नदी के उफनने पर ग्रामीणों को अत्यधिक परेशानी होती थी। पशुओं को नदी पार ले जाना या उनके लिए घास-चारा लाना असम्भ सा हो जाता था क्योंकि बल्लियों का अस्थायी पुल खतरनाक सिद्ध होता था।
सिकंदरपुर के ग्रामीण दीर्घकाल से हिंडन नदी पर पुल बनवाने की मांग कर रहे हैं। ज्ञापन भी दिये, धरना प्रदर्शन भी किये। चरथावल क्षेत्र से सत्तादल के विधायक भी बने, मंत्री भी बने लेकिन सिकंदरपुर का पुल नहीं बन सका।
कुछ वर्षों पूर्व तत्कालीन जिला अधिकारी ने ग्रामीणों की गुहार सुनी और सिकंदरपुर में पुल निर्माण के लिए सिंचाई विभाग को निर्देशित किया। पुल बनाने को ह्यूम पाइप पहुंचा दिये गये किन्तु इस बीच जिला अधिकारी का स्थानान्तरण हो गया। पुल बनवाने वाले महकमे के अधिकारी आंख-कान बंद कर बैठ गए।
लाचार किसानों ने स्वयं ही श्रमदान व सहयोग से पुल बनाने का निश्चय किया। पहले से परे ह्यूम पाइपों का इस्तेमाल कर हिंडन नदी पर पुल बना दिया। इस कार्य में ग्रामीणों ने अपने काम छोड़कर 26 दिनों में पुल तैयार कर दिया।
सम्भव है कि सिकंदरपुर का यह पुल तकनीकी दृष्टि से मानक के अनुरूप न बना हो। यह भी सम्भव है कि हिंडन नदी के बरसाती पानी का प्रवाह न झेल सके और अल्पकाल में ही क्षतिग्रस्त हो जाए। फिलहाल तो यह उपयोगी सिद्ध होगा ही।
सिकंदरपुर के ग्रामीणों ने अपनी समस्या का खुद समाधान किया है। निश्चित ही इस पुरुषार्थ के लिए वे सराहना के पात्र हैं।
यह हर्ष का विषय है कि जिला अधिकारी उमेश मिश्र प्रशासनिक कार्यों के साथ-साथ विकास कामों में गहन रुचि लेते हैं। किसान के खेत तक पहुंचते हैं। हमारा उनसे आग्रह है कि वे इंजीनियरों को साथ लेकर सिकंदरपुर के ग्रामीणों द्वारा निर्मित पुल का निरीक्षण करें। यदि पुल में कोई तकनीकी खामी रह गई है तो दूर करने के निर्देश देकर ग्रामीणों की हौसला अफजाई करें।
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’