एएमयू में 143 साल पहले दफन टाइम कैप्सूल निकालने की तैयारी

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) की दस्तावेजों को संजोने-सहेजने की रवायत रही है। 143 साल पहले एएमयू जब विश्वविद्यालय नहीं था, तब भी मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज (एमएओ) की बुनियाद के समय मदरसातुल उलूम के दस्तावेजों को एक बड़े से बोतल में बंद करके जमीन में गाड़ा गया था। जन संपर्क विभाव के प्रो. शाफे किदवई ने बताया कि सर सैयद साप्ताहिक अलीगढ़ इंस्टीट्यूट गजट नाम से उर्दू व अंग्रेजी में पत्र निकालते थे, जिसमें 12 जनवरी 1877 के अंक में दस्तावेज बोतल में बंद कर जमीन में गाड़ने का जिक्र है। विश्वविद्यालय 17 दिसंबर 2020 में शतायु होने जा रहा है। अब सौ साल के दस्तावेजों को सहेजने के लिए तांबे के बने पात्र कैप्सूल में रखा जाएगा।
यूं तो एएमयू देश-दुनिया में मशहूर और उसके विद्यार्थी दुनिया के हर कोने में हैं। एएमयू का इतिहास 145 साल पुराना है। यह बात अलग है कि एएमयू 17 दिसंबर 1920 में वजूद में आया। सर सैयद अहमद खां ने 24 मई 1875 में मदरसातुल उलूम की बुनियाद रखी। अगले दो साल बाद यानी 8 जनवरी 1877 को मदरसा नए स्वरूप में एमएओ बनकर दुनिया के सामने आया।
एमएओ की बुनियाद वायसराय लॉर्ड लिटन की मौजूदगी में रखी गई, जो मुख्य अतिथि थे। वह 1876 से 1880 तक वायसराय रहे। जब बुनियाद रखी गई तब मदरसातुल उलूम से जुड़े हर दस्तावेज। मसलन, किसने कितना चंदा दिया, तख्ती, सोना-चांदी के सिक्के सहित अन्य महत्वपूर्ण चीजों को एक तांबे का बड़ा पात्र, जो एक बोतल जैसा था, उसमें रखकर स्ट्रेची हॉल के पास उसे जमीन में गाड़ दिया गया। बोतल गाड़ने से पहले हाजी समीउल्ला ने वहां मौजूद लोगों को पढ़कर सुनाया, जो बोतल में चीजें रखी गई थीं। एक बार फिर एएमयू अपने सौ साल की स्थापना को लेकर सुर्खियों में है। सौ साल के दस्तावेजों को सहेजने के लिए तांबे के बने पात्र कैप्सूल में रखा जाएगा। विश्वविद्यालय 17 दिसंबर 2020 में शतायु होने जा रहा है।
जन संपर्क विभाग के विभागाध्यक्ष व एएमयू पीआरओ के मेंबर इंचार्ज प्रो. शाफे किदवई ने बताया कि उनकी हाल ही में प्रकाशित हुई सर सैयद की अव्वलीन सहाफती काविशें पुस्तक में एएमओ कॉलेज की बुनियाद के दौरान मदरसातुल उलूम के ऐतिहासिक दस्तावेजों को बोतल में बंद करके जमीन में दफनाने का जिक्र है। उनके अनुसार, सर सैयद साप्ताहिक अलीगढ़ इंस्टीट्यूट गजट नाम से उर्दू व अंग्रेजी में पत्र निकालते थे, जिसमें 12 जनवरी 1877 के अंक में दस्तावेज बोतल में बंद कर जमीन में गाड़ने का जिक्र है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here