टनकपुर में आग बुझाने के दौरान बेहोश हुआ वन कर्मी, झुलसी चाैथी श्रमिक की भी माैत

उत्तराखंड के कुमाऊं  में जंगलों की आग अब विकराल हो गई है।  जंगलों में लगी आवासीय क्षेत्रों और शैक्षणिक संस्थानों के निकट तक पहुंचने लगी है। आग में जले पेड़ वाहनों के लिए खतरा बन गए है। बागेश्वर, कांडा और कपकोट, लोहाघाट के झूमाधुरी, गलचौड़ा, भवल्टा और बरदाखान के जंगलों में भीषण आग लगी हुई है। झूलाघाट क्षेत्र के कानड़ी, बलतड़ी, तड़ीगांव, गेठीगाड़ा, बनाड़ा, मजिरकांडा, भटेड़ी, अमतड़ी, रणवां और थल केदार के जंगलों में भीषण आग लगी हुई है। जंगलों में आग से वन संपदा और वन्यजीवों को काफी नुकसान पहुंचा है।

टनकपुर (चंपावत) क्षेत्र के बूम वन रेंज के जंगल में शुक्रवार देर शाम को भीषण आग लग गई। वन कर्मियों ने बमुश्किल आग को फैलने से रोका। इस बीच एक वन कर्मी धुएं से बेहोश हो गया जिसका उप जिला अस्पताल में इलाज किया गया।

वहीं, बृहस्पतिवार को जंगल की आग से झुलसी चौथी महिला श्रमिक पूजा ने भी दम तोड़ दिया है। इस हादसे में उसके पति की पहले ही मौत हो चुकी है। सोमेश्वर के स्यूनराकोट में तीन दिन पूर्व जंगल की आग में चार नेपाली श्रमिक झुलस गए थे। तीन की मौत पहले ही हो चुकी है जबकि चौथी महिला श्रमिक की ऋषिकेश एम्स में उपचार के दौरान शनिवार को मौत हो गई।

बागेश्वर जिले के ओखलसों गांव में खेत में गेहूं के अवशेष जलाने के लिए लगाई गई आग को बुझाने के दौरान दो सगे भाई रिटायर्ड फौजी नारायण सिंह (62) पुत्र सुर सिंह और उनके भाई प्रताप सिंह (55) झुलस गए। वहीं, बागेश्वर जिले के रीमा में गोशाला में आग लगने से गाय और बछड़ा जिंदा जल गए। धरमघर रेंज के रेंजर प्रदीप कांडपाल ने बताया कि घटना की जांच की जाएगी। उधर, बागेश्वर रेंज के गोगिनापानी गांव में नाप खेतों में लगी आग जंगल तक पहुंच गई।

अल्मोड़ा-क्वारब हाईवे तक पहुंची आग, रोकनी पड़ी आवाजाही
अल्मोड़ा-क्वारब हाईवे तक जंगल की आग पहुंचने से आवाजाही रोकनी पड़ी। जंगल की यह आग करबला में संचालित होटल मैनेजमेंट संस्थान के पास तक पहुंच गई। दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका। अल्मोड़ा-क्वारब हाईवे किनारे चीड़ के कई पेड़ों के जलकर गिरने का खतरा बना हुआ है। ऐसे में यात्री और वाहन चालक जान जोखिम में डालकर आवाजाही करने के लिए मजबूर हैं। ताड़ीखेत क्षेत्र के जंगलो में लगी आग रानीखेत-रामनगर हाईवे तक पहुंच गई। धुएं से सड़क का दिखना बंद हो गया तो चालकों ने वाहनों की आवाजाही रोक दी। वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर स्थानीय लोगों के साथ मिलकर आग बुझाई। इसके बाद आवाजाही शुरू हो पाई।

वनाग्नि रोकने के लिए रिस्पांस समय कम से कम हो : सीएम
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को प्रदेश में वनाग्नि की घटनाओं की रोकथाम और ग्रीष्मकाल में पेयजल की समस्या के समाधान को लेकर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बैठक ली। उन्होंने कहा कि वनाग्नि की घटना पर रिस्पांस समय कम से कम हो। निचले स्तर से लेकर ऊपरी स्तर के प्रत्येक अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाए। किसी भी स्तर पर लापरवाही होने पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी। सीएम ने कहा कि जिन क्षेत्रों में पेयजल की समस्या अधिक है वहां वैकल्पिक रूप से टैंकर आदि के जरिये पानी की आपूर्ति कराई जाए। सूख चुके हैंडपंपों के कारणों की जांच कर उन्हें ठीक कराया जाए।

खेतों की आग जंगल तक पहुंची तो खेत मालिक पर होगी कार्रवाई
बागेश्वर जिले में वनाग्नि के साथ-साथ नाप खेतों में गेहूं के अवशेष जलाने के लिए लगाई जा रही आग से भी हालात बिगड़ रहे हैं। डीएम अनुराधा पाल, ने नाप खेतों में आग लगाने वालों पर भी नजर रखने और नाप खेत की आग जंगल तक फैलने पर खेत मालिक के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

चंपावत में आग लगाने पर 11 के खिलाफ नामजद रिपोर्ट
चंपावत जिले में वनाग्नि की 55 घटनाओं में रिजर्व फॉरेस्ट में 36.89 हेक्टेयर में वनाग्नि बुझाई गई है। इन घटनाओं में 37 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें 11 नामजद के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। वहीं, बागेश्वर जिले में अब तक वनाग्नि की 26 घटनाओं में 31.42 हेक्टेयर जंगल जला है और 94,260 रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ है। मई में वनाग्नि की आठ घटनाएं हुई हैं। हालांकि जगह-जगह लग रही आग को जोड़ा जाए तो जिले में वनाग्नि की घटनाओं का आंकड़ा शतक के करीब पहुंच चुका है।

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