मनीष सिसोदिया की जमानत पर सस्पेंस बरकरार, ईडी मामले में कोर्ट ने टाला निर्णय

दिल्ली आबकारी नीति केस में गिरफ्तार पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अदालत ने आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में मनीष सिसोदिया की जमानत पर निर्णय टाल दिया है। राउज एवेन्यू कोर्ट ने 28 अप्रैल तक सिसोदिया की जमानत याचिका पर फैसला टाल दिया है।इससे पहले 18 अप्रैल (मंगलवार) को मामले की सुनवाई में अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल 26 अप्रैल को फैसला सुनना था। आज की सुनवाई में अदालत ने फैसला टाल दिया है। सिसोदिया फिलहाल सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में न्यायिक हिरासत में हैं। उन्हें सीबीआई मामले में विशेष न्यायाधीश ने 31 मार्च को जमानत देने से इनकार कर दिया था। उनकी जमानत याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है और इस पर 20 अप्रैल को सुनवाई होगी।सिसोदिया को ईडी की हिरासत में भेजते हुए अदालत ने कहा था कि आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में सिसोदिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी गिरफ्तारी उचित है। ईडी ने आरोप लगाया है कि कुछ निजी कंपनियों को 12% का थोक व्यापार लाभ देने की साजिश के तहत आबकारी नीति लागू की गई थी।एजेंसी ने यह भी कहा था कि एक साजिश थी जिसे थोक विक्रेताओं को असाधारण लाभ मार्जिन देने के लिए साउथ ग्रुप के साथ विजय नायर और अन्य व्यक्तियों द्वारा समन्वित किया गया था। यह तर्क दिया गया कि नायर दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की ओर से कार्य कर रहे थे। सबूत नष्ट करने पर ईडी ने कहा है कि सिसोदिया ने 14 फोन नष्ट किए, जिनमें से केवल दो बरामद किए गए। यह भी कहा गया कि आप नेता ने सिम कार्ड और फोन का इस्तेमाल किया जो अन्य व्यक्तियों के नाम से खरीदे गए थे।

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