राजू पाल हत्याकांड: हत्या की एफआईआर भी नहीं लिख रही थी पुलिस- पूजा पाल

25 जनवरी 2005…जिंदगी का वह काला दिन यादकर कलेजा कांप जाता है। इसी दिन सरेआम गोलियां बरसाकर मेरे पति विधायक राजू पाल की हत्या हुई। शादी के नौवें दिन ही मांग का सिंदूर उजड़ने की असह्य पीड़ा के बीच उनका चेहरा देखने के लिए थाना, अस्पताल से लेकर मोर्चरी तक भटकती रही। पुलिस ने एफआईआर लिखने से भी मना कर दिया था, लेकिन 19 साल लड़कर दोषियों को करनी की सजा दिला ही दी।

फैसले का जिक्र होते ही पूजा पाल के जेहन में खौफनाक मंजर ताजा हो जाता है। वह बताती हैं, उस दिन लंबी जद्दोजहद के बाद माफिया अतीक अहमद उसके भाई खालिद अजीम अशरफ समेत नौ के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया और तब से न्याय के लिए लड़ती रही। आज की जीत सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि अतीक-अशरफ के सताए सैकड़ों बेबस-लाचार और बेसहारा मां, बहनों-भाइयों की भी है।

फैसले के वक्त लखनऊ की सीबीआई कोर्ट ने जब सजा सुनाई गई तो वहां मौजूद उनकी विधायक पत्नी पूजा पाल की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। चायल की सपा विधायक पूजा ने फोन पर अमर उजाला से अपनी भावनाओं को साझा किया। कहा, सर्दी-जुकाम की वजह से सारे कार्यक्रम रद्द कर राजू पाल पैतृक गांव उमरपुर नीवा में थे। घर से बाहर कहीं निकलने के पक्ष में नहीं थे।

शादी के नौ दिन बाद ही हो गई थी पति की हत्या

उसी दिन पड़ोस के निषाद परिवार की एक महिला के बेटे की मछलीबाजार के पास हत्या हो गई थी। वह महिला सुबह करीब 11 बजे घर आई और राजू पाल से मोर्चरी चलने का आग्रह करने लगी। उसका कहना था कि उनकी मौजूदगी होने पर पोस्टमार्टम जल्दी हो जाएगा। उसकी पीड़ा सुनकर राजू पाल मोर्चरी के लिए निकल पड़े थे। पूजा बताती हैं कि दोपहर करीब ढाई बजे राजू का एक करीबी कार्यकर्ता हांफते हुए घर आया। उसने बताया कि विधायक जी को गोली लग गई है। इतना सुनते ही अनहोनी की आशंका से मन व्याकुल हो उठा।

न्यायालय पर पूरा भरोसा था

शादी के सिर्फ नौ दिन ही बीते थे, वह तुरंत घटनास्थल के लिए निकल पड़ीं। सुलेमसराय में फांसी इमली के पास पहुंचीं तो वहां सड़क पर खून बिखरा था। पता चला कि पुलिस उनको लेकर जीवन ज्योति अस्पताल चली गई है। वहां पहुंचने पर बताया गया कि उनको चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया है। पति का चेहरा दिखाने के लिए वह तड़पती, बिलखती रह गईं, लेकिन किसी ने नहीं सुना। शव को वहां से एंबुलेंस के जरिये एसआएन के पोस्टमार्टम हाउस में रखवा दिया गया।
 

पूजा बताती हैं कि हत्यांकाड में शामिल अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ समेत नौ के खिलाफ नामजद तहरीर धूमनगंज थाने में दी, लेकिन पुलिस एफआईआर लिखने में टालमटोल करने लगी। लंबे विरोध-प्रदर्शन व बसपा के तत्कालीन बड़े नेताओं के हस्तक्षेप के बाद एफआईआर लिखी जा सकी थी। पूजा के मुताबिक उसी दिन उन्होंने पति के हत्यारों को सजा दिलाकर दम लेने का संकल्प लिया था, लेकिन अपराधियों की सत्ता-शासन में मजबूत पकड़ और संरक्षण की वजह से वह लगातार बचते रहे। इस मुकदमे में साथ देने वालों को धमकियां देते रहे। पूजा ने कहा, उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा था कि एक न एक दिन न्याय जरूर मिलेगा।

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