3 दिन में 3 विवाद…राज्यसभा में बार-बार क्यों भिड़ जाते हैं खरगे और धनखड़?

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और सभापति जगदीप धनखड़ के बीच का हॉट-टॉक सुर्खियों में है. मंगलवार को दोनों नेताओं के बीच राज्यसभा में करीब 5 मिनट तक बहस होती रही. बहस धनखड़ के एक तंज को लेकर था, जिस पर खरगे नाराज हो गए और सदन में सभापति की खिंचाई कर दी.

हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब खरगे और धनखड़ की बहस ने लोगों का ध्यान खींचा है. इसी सत्र में पिछले 3 दिन से खरगे और धनखड़ के बीच कई बार नोंकझोक हो चुकी है.

इस स्टोरी में सदन के भीतर के इन्हीं बहस को विस्तार से पढ़िए…

पहले नीट पर बहस को लेकर नोंकझोक हुई

27 जून को नेता प्रतिपक्ष खरगे ने नियम 267 के तहत नीट पेपर लीक पर राज्यसभा में बहस कराने की मांग की, जिसे सभापति ने खारिज कर दिया. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच नोंकझोक देखने को मिली.

खरगे ने कहा कि देश में 25 लाख बच्चे परेशान हैं और आप उन पर बहस नहीं कराना चाहते हैं. हालांकि, धनखड़ ने उनके प्रस्ताव को खारिज कर दिया, जिसके बाद विपक्ष के सदस्य बेल में आ गए.

विपक्षी सदस्यों के साथ-साथ खरगे भी बेल में आ गए. आम तौर पर नेता प्रतिपक्ष बेल में विरोध करने नहीं आते हैं.

खरगे के बेल में आने पर धनखड़ भड़क गए और इस घटना को सदन के लिए काला धब्बा बता दिया. खरगे ने इसका जवाब देते हुए कहा कि सभापति ने मेरा अपमान किया, इसलिए मुझे बेल में आना पड़ा.

खरगे के मुताबिक सभापति अगर उनकी बातों को सुनते तो विरोध की नौबत ही नहीं आती.

फिर भाषण के दौरान खरगे-धनखड़ भिड़े

1 जून को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर खरगे बोलने के लिए खड़े हुए तो कई मौकों पर उनकी जगदीप धनखड़ से बहस हो गई. पहला मौका आरएसएस को लेकर था. खरगे मोहन भागवत के बयान के जरिए मोदी सरकार पर निशाना साध रहे थे. इसी दौरान धनखड़ ने कहा कि संघ प्रमुख को पढ़ते रहना चाहिए, इससे ज्ञान की वृद्धि होती है.

इस पर जवाब देते हुए खरगे ने कहा कि मैं सबको पढ़ता हूं और इसलिए पढ़ता हूं कि ये लोग देश को खत्म करना चाहते हैं. खरगे के इस बयान पर सभापति ने नाराजगी जाहिर की.

दोनों के बीच दूसरी बहस खरगे के एक आरोप पर देखने को मिली. खरगे ने सदन में कहा कि संसद के भीतर महापुरुषों की मूर्ति को पीछे किया जा रहा है और इस काम में सभापति भी शामिल हैं.

इस पर जगदीप धनखड़ ने कहा कि मुझे लोकसभा स्पीकर की तरफ से आमंत्रण आया था और मैं इसलिए गया था. दोनों के बीच बहस चल रही थी कि सदन के नेता जेपी नड्डा खड़े हो गए.

नड्डा ने कहा कि खरगे साहेब को मूर्तियों की इतनी ही चिंता है तो जवानी के दिनों में दिल्ली से जॉर्ज पंचम की मूर्ति क्यों नहीं हटवाए? इस पर धनखड़ ने कहा कि खरगे साहेब अभी भी जवान हैं.

और बात दलित और सामंतवाद पर आ गई

2 जुलाई को बहस के दौरान जयराम रमेश ने पीछे से कुछ बोला, जिस पर धनखड़ ने तंज कसते हुए कहा कि रमेश आप ज्यादा प्रतिभाशाली हैं. इस पर खरगे बिफर पड़े. खरगे ने धनखड़ से कहा कि आपके अंदर अभी भी वर्ण व्यवस्था है और आपको लगता है कि रमेश ज्यादा काबिल और मैं मंदबुद्धि हूं, क्योंकि मैं दलित वर्ग से आता हूं.

खरगे ने आगे कहा कि मैं जिस पद पर हूं, वो पद सोनिया गांधी और देश की जनता ने दिया है. मुझे नेता प्रतिपक्ष आपने और रमेश ने नहीं बनाया है. खरगे के इस बयान के बाद सभापति धनखड़ बैकफुट पर आ गए.

धनखड़ ने कहा कि इस सदन में आपकी सबसे ज्यादा इज्जत मैं ही करता हूं. कई बार आपके लोग आपको नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं, लेकिन मैं यहां से यह होने नहीं देता हूं. बात को मैं बढ़ाना नहीं चाहता हूं.

खरगे-धनखड़ में पहले भी चले हैं बयानों के तीर

1. 11 महीने पहले मणिपुर मामले को लेकर खरगे ने नियम 267 के तहत एक प्रस्ताव दिया, लेकिन सभापति ने इसे स्वीकार नहीं किया. इसके बाद खरगे ने कहा कि मैं यहां सबसे सीनियर हूं, लेकिन आपने मेरे प्रस्ताव को तीसरे नंबर पर धकेल दिया. इस पर धनखड़ ने कहा कि आपका मैं सम्मान करता हूं, लेकिन नियम ही यही है, इसलिए यह हुआ है और आप तो मेरे दिल में रहते हैं.

खरगे ने कहा कि मैं जानता हूं कि आपका दिल बहुत बड़ा है, लेकिन वो सिर्फ सत्ता पक्ष के लिए धड़कता है. खरगे ने आगे कहा कि आप बहस नहीं कराना चाहते हैं, लेकिन हम यह मांग तब तक करते रहेंगे, जब तक आपका दिल नहीं जीत लेंगे.

2. संसद के इसी सत्र में एक संबोधन के दौरान खरगे ने कहा कि आप प्रधानमंत्री का सीधा बचाव करते हैं. ऐसा बचाव तो सत्ता पक्ष के लोग भी नहीं कर पाते हैं. मुझे समझ नहीं आता है कि आप ऐसा क्यों करते हैं?

इसका जवाब देते हुए सभापति ने कहा कि प्रधानमंत्री को मेरे बचाव की जरूरत नहीं है. वे ग्लोबल लीडर हैं और उन पर पूरे भारत के लोग गर्व करते हैं. प्रधानमंत्री की तारीफ यूएस के सिनेट में भी होता है.

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