दिल्ली पुलिस ने कहा 2020 के उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों को अंजाम देने में ‘चुप्पी की साजिश’ थी जिसका मकसद पूरी तरह से व्यवस्था को पंगु बना देना था। पुलिस ने अदालत के समक्ष उमर खालिद व अन्य आरोपियों की जमानत पर अपनी आपत्ति जताते हुए उक्त तर्क रखा। पुलिस ने कहा दंगो के पहले अभियान में असफल रहने के बाद आरोपियों ने गुप्त बैठक की और एक ग्रुप के जरिए सभी को संदेश देकर दूसरे अभियान में दंगे करवाने में सफल रहे।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष पेश विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने आरोपी उमर खालिद के अलावा खालिद सैफी, मीरा हैदर, सलीम मलिक, शाहदाब अहमद और सलीम खान की जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए दंगों को करने में योजना बनाने के पहलू पर तर्क दिया। उन्होंने कहा दंगो के पहले चरण की विफलताओं को दूसरे चरण के दंगों में इस्तेमाल किया गया जो फरवरी 2020 के महीने तक जारी रहा।
उन्होंने दंगों के पहले चरण के पहलू पर सभी मामलों में एक सामान्य पैटर्न दिखाने के लिए दिसंबर 2019 में दर्ज विभिन्न प्राथमिकी का हवाला दिया। इसमें पुलिस कर्मियों पर हमला करने और सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट किया गया।
प्रसाद ने कहा यदि आपको एक कानून के खिलाफ शिकायत है आप अपनी शिकायत अधिकारों के भीतर रह कर व्यक्त कर सकते हैं लेकिन संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और पुलिस अधिकारियों पर हमला करने का कोई कारण नहीं है।
उन्होंने विशेष रूप से मीरान हैदर और आसिफ इकबाल तन्हा नाम के आरोपी व्यक्तियों की पहचान का उल्लेख किया। उन्होंने तर्क दिया कि दंगे करने की पूर्व योजना थी और दंगों का पहला चरण भी स्वत:स्फूर्त नहीं था। रिकॉर्ड पर पेश सामग्री से स्पष्ट है कि कार्रवाई कैसे सिंक्रनाइज की गई थी पैटर्न आम था। दोनों चरणों में शामिल लोग आम थे।
प्रसाद ने तर्क दिया कि पहले चरण के दंगों की विफलता के कारण यह था कि दंगाई वांछित लामबंदी नहीं कर सके। उन्होंने आगे कहा कि जामिया जागरूकता अभियान दल (जेएसीटी) के गठन का उद्देश्य जागरूकता पैदा करना और जनता को आमंत्रित करना था जिसके परिणामस्वरूप सभी विरोध स्थलों को एक नियोजित आंदोलन के तहत कार्रवाई में लाया गया।
उन्होंने तर्क दिया असफलता का दूसरा कारण यह है कि सांप्रदायिक संबंध जुड़े हुए हैं। अन्य कारणों में तालमेल की कमी, नेतृत्व की कमी और प्रभावी पुलिस कार्रवाई है।
कई समूहों में था समन्व्य
प्रसाद ने कहा जेसीसी, जेएमआई जेसीसी और डीपीएसजी जैसे विभिन्न समूहों के सदस्यों के बीच एक समन्वय था। भले ही आरोपी व्यक्ति और अन्य सदस्य अलग-अलग स्थानों पर स्थित थे विरोध स्थलों के बारे में जानकारी उन समूहों पर अपडेट की जाती थी।
कपिल मिश्रा को पुलिस ने भगाया
उन्होंने भाजपा नेता कपिल मिश्रा को क्लीन चिट देते हुए कहा आरोपियों ने बार-बार उनका नाम लेकर अफवाहे फैलाने का प्रयास किया जबकि उनकी चैट से स्पष्ट है कि कपिल मिश्रा को तुंरत पुलिस ने घटनास्थल से भगा दिया था।
बुधवार को भी जारी रहेगी सुनवाई
एसपीपी ने 23 फरवरी 2020 से दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में उल्लिखित एक व्हाट्सएप चैट का उल्लेख करते हुए कहा इसमें कहा गया है कि ‘‘अभी तो ये ट्रेलर है। यह चैट दिल्ली में छह क्षेत्रों को अवरुद्ध करने के संबंध में थी और आरोपी व्यक्ति अपनी कथित साजिश के तहत योजना को आगे बढ़ाना चाहते थे।