नयी दिल्ली : हाथरस में दलित युवती से कथित गैंगरेप व उसकी मृत्यु की घटना से जुड़े पुलिसकर्मियों, मेडिकल स्टाफ और दूसरे सरकारी अधिकारियों के खिलाफ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचारों से संरक्षण) कानून के तहत आपराधिक मामला दर्ज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक नयी जनहित याचिका दायर की गयी है। जांच के लिये विशेष कार्यबल गठित करने का भी अपील की गयी है। यह जनहित याचिका महाराष्ट्र के दलित अधिकारों के कार्यकर्ता चेतन जनार्द्धन कांबले ने दायर की है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि यूपी सरकार द्वारा एक अन्य जनहित याचिका में दाखिल हलफनामे से ‘हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में गड़बड़ी करने व साक्ष्य नष्ट करने में शासकीय समर्थन’ के कुछ ज्वलंत तथ्य सामने आने के बाद वह यह जनहित याचिका दायर करने के लिये बाध्य हुए हैं। याचिका के अनुसार तथ्यों से इस अपराध के संबंध में अभियुक्तों को बचाने और साक्ष्यों को नष्ट करने में उप्र पुलिस और राज्य सरकार की मशीनरी के कतिपय अधिकारियों की संलिप्तता और मिलीभगत के साफ संकेत मिलते हैं। याचिका में केन्द्र और राज्य सरकार को पीड़ित और उसके रिश्तेदारों के 14 और19 सितंबर को दर्ज बयानों की वीडियो रिकार्डिंग और सफदरजंग अस्पताल द्वारा पोस्टमार्टम के दौरान एकत्र साक्ष्यों सहित सारे साक्ष्य जमा कराने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।