यूपी सरकार रिकवरी नोटिस को वापिस ले

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) से दिसंबर 2019 में कथित CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों (CAA protesters) को जारी किए गए रिकवरी नोटिस को वापस लेने के लिए कहा है. शीर्ष अदालत ने कहा कि यूपी सरकार की कार्यवाही उसके द्वारा निर्धारित कानून के विपरीत थी. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने राज्य को वसूली नोटिस वापस लेने का अंतिम मौका देते हुए कहा कि अगर ऐसा नहीं होता, तो शीर्ष अदालत कानून का उल्लंघन करने के लिए कार्यवाही को खुद ही रद्द कर देगी.

पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकील से कहा, कार्यवाही वापस ले लें या हम इस अदालत द्वारा निर्धारित कानून का उल्लंघन करने के लिए इसे रद्द कर देंगे. सुनवाई के दौरान, पीठ ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने आरोपियों की संपत्तियों को कुर्क करने के लिए की गई कार्यवाही में खुद शिकायतकर्ता, फैसला करने वाले और अभियोजक की तरह काम किया है. सुप्रीम कोर्ट अदालत राज्य में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के विरोध में सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान की वसूली के लिए उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा जारी किए गए वसूली नोटिस को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था.

यूपी सरकार की वकील ने क्या कहा?

इस याचिका को वकील परवेज आरिफ टीटू (Parvez Arif Titu) ने दायर किया है. उन्होंने उत्तर प्रदेश में CAA-NRC के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई घटनाओं की जांच के लिए एक स्वतंत्र न्यायिक जांच स्थापित करने का निर्देश देने की मांग की थी. उत्तर प्रदेश की ओर से अतिरिक्त वकील गरिमा प्रसाद ने शीर्ष अदालत को अवगत कराया कि राज्य में 833 दंगाइयों के खिलाफ 106 FIR दर्ज की गईं और उनके खिलाफ 274 वसूली नोटिस जारी किए गए.

उन्होंने कहा कि 274 नोटिसों में से 236 में वसूली के आदेश पास किए गए जबकि 38 मामलों को बंद कर दिया गया. प्रसाद ने यह भी खुलासा किया था कि ये आदेश अतिरिक्त जिलाधिकारियों द्वारा पास किए गए थे. उन्होंने यह भी कहा कि 2020 में अधिसूचित नए कानून के तहत, क्लेम ट्रिब्यूनल का गठन किया गया है, जिसका नेतृत्व सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश कर रहे हैं. इससे पहले इसका नेतृत्व अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) करते थे.

न्यायिक अधिकारियों की होनी थी क्लेम ट्रिब्यूनल में नियुक्ति: पीठ

इस पर, शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2009 और 2018 में दो फैसले पास किए हैं. इन फैसलों में कहा गया है कि क्लेम ट्रिब्यूनल में न्यायिक अधिकारियों को नियुक्त किया जाना चाहिए, लेकिन राज्य द्वारा एडीएम की नियुक्ति की गई. इससे पहले, उत्तर प्रदेश सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया था कि राज्य में CAA के विरोध और दंगों के दौरान संपत्ति के नुकसान के मुआवजे के लिए निजी व्यक्तियों और सरकारी अधिकारियों के दावों पर निर्णय लेने के लिए संपत्ति के नुकसान के लिए क्लेम ट्रिब्यूनल स्थापित किए गए.

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