हनुमानगढ़:आखिरकार भटनेर बैसाखियों को हटाने के लिए पुरातत्व विभाग तैयार

आखिरकार भटनेर की बैसाखी हटाने की कर ली तैयारी
– भटनेर दुर्ग का द्वार व गलियारा क्षतिग्रस्त मरम्मत का कार्य जल्द होगा शुरू
– पुरातत्व विभाग ने की तैयारी, जोधपुर सर्किल के कर्मचारी कर चुके सर्वे
हनुमानगढ़. अभेद कहलाने वाला भटनेर किला जर्जर होकर बैसाखियों के सहारे टिका हुआ है। इन बैसाखियों को हटाने के लिए पुरातत्व विभाग तैयारी कर चुका है। गत माह में पुरातत्व विभाग की ओर से मुख्य द्वार का सर्वे करवाया गया था। सर्वे के दौरान मरम्मत कराने के लिए ड्राइंग तैयार की गई थी। इस ड्राइंग में दुर्ग के दूसरे मुख्य द्वार व गलियारे की बड़ी-बड़ी दरारों की मरम्मत करने की योजना तैयार की गई थी। हालांकि अभी तक मरम्मत कार्य शुरू नहीं हुआ है। दूसरे मुख्य द्वार पर दरारें पिछले छह साल से हैं। इसकी मरम्मत के बजाय दीवार व द्वार को थामने के लिए हर साल लोहे की पाइपों की संख्या बढ़ाई जा रही है। इनके सहारे टिकी क्षतिग्रस्त दीवारें तथा ‘द्वार क्षतिग्रस्त है, ध्यान रखेंÓ की चेतावनी देता सूचना बोर्ड देकर आगन्तुकों में डर के साथ खीज पैदा करता है। शटरिंग के पाइपों के बीच से गुजर कर दुर्ग में जाना लोगों की नियति बन गई। इस दुर्ग में प्रतिदिन दो सौ से अधिक लोगों की आवाजाही है। किले में प्रवेश का यही एक द्वार होने की वजह से इसे बंद करना भी संभव नहीं है। इसके बावजूद मरम्मत के लिए कोई ठोस कार्य नहीं हुआ। ऐसे में अगर समय रहते क्षतिग्रस्त द्वार की संभाल नहीं की गई तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। हैरत की बात है कि छह साल पहले जब द्वार में दरारें आई थी तो पुरातत्व विभाग ने केवल चेतावनी का सूचना पट्ट लगाकर जिम्मेदारी पूरी कर ली। इसकी मरम्मत की कवायद शुरू नहीं की। गत जनवरी माह में सर्वे करवाया है।
स्टूडेंट्स से लेकर बुर्जुग तक
किला देखने व यहां के पार्क में घूमने के लिए हर रोज बड़ी संख्या में लोगबाग आते हैं। इसके अलावा मंदिर परिसर में आधा दर्जन से अधिक विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिर हैं। एक दरगाह भी किले में है। इस तरह दुर्ग में सुबह से लेकर शाम तक सप्ताह के हर दिन सैकड़ों श्रद्धालु आते हैं।
जर्जर होता हमारा भटनेर दुर्ग
भटनेर दुर्ग में 52 बुर्ज हैं। इसमें जो बिहारी बस्ती तथा बरकत कॉलोनी की तरफ बुर्ज हैं, उनमें डेढ़ दर्जन से ज्यादा बुर्ज खस्ताहाल हैं। बुर्ज ढहने से एक तरफ जहां धरोहर जीर्ण-शीर्ण होती जा रही है, वहीं आसपास के घरों की निजता भी भंग होती है।
धांधली का लग चुका है आरोप
भटनेर दुर्ग के लिए जो बजट आवंटित होता है, उसका उपयोग सही तरीके से निर्माण आदि पर नहीं हो पाता। इसलिए किले की बदहाली वर्षों बाद भी दूर नहीं हो सकी है। करीब साढ़े छह साल पहले आरटीआई के तहत पुरातत्व विभाग से भटनेर दुर्ग के लिए आवंटित बजट व इसके खर्च का ब्यौरा मांगा गया। आरटीआई के तहत प्राप्त सूचना के अनुसार पांच साल में 80 लाख रुपए से अधिक राशि किले की मरम्मत पर खर्च की गई थी। जबकि किला आज भी जर्जर व बदहाल है। हाल ही में पुरात्तव विभाग की ओर से शौचालय का निर्माण करवाया गया है। इसमें भी ताले लटके होने के कारण आमजन प्रयोग में नहीं ले सकते।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here