पायलट योजना के तौर पर शुरू की गई योजना को 2023 तक के लिए बढ़ाया: निर्मला सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि भारत इस समय ऐसी स्थिति में जहां वृद्धि और विकास पर ध्यान को हर ओर से मजबूत करना जरूरी है। बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) की इसमें काफी महत्वपूर्ण भूमिका है। 

सीतारमण ने कहा कि पिछले साल 28 हजार पेटेंट दिए गए थे। साल 2012-14 में इसकी संख्या केवल 4000 थी। उन्होंने कहा, पिछले साल 2.5 लाख ट्रेडमार्क का पंजीकरण भी हुआ और कॉपीराइट की संख्या 16 हजार से अधिक रही।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, ‘ये छोटे आंकड़ें नहीं है। यह इस तरह के इनोवेशन और कॉपीराइट के समर्थन में अर्थव्यवस्था की मजबूती है। जब इनमें इजाफा होगा तो अर्थव्यवस्था पर भी इसका बड़ा और महत्वपूर्ण प्रभाव देखने को मिलेगा।’

उन्होंने यह बातें ‘भारत में आईपीआर विवादों के न्यायनिर्णयन पर राष्ट्रीय संगोष्ठी’ में कहीं। इसका आयोजन दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से करवाया गया था। इस कार्यक्रम में देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण और अन्य न्यायाधीश शामिल हुए।

सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार स्टार्टअप को प्रोत्साहन दे रही है और उनके आईपीआर की सुरक्षा कर रही है। उन्होंने कहा कि इसमें तेजी देना केवल प्रतिबंधों को हटाकर संभव नहीं है। इसके लिए सकारात्मक नजरिए की जरूरत है।

स्टार्टअप के साथ-साथ आर एंड डी को भी सहयोग दे रही है सरकार
इसके साथ ही उन्होंने अर्थव्यवस्था के लिए इनोवेशन के महत्व का उल्लेख भी किया। सीतारमण ने कहा कि अगर सामान्य निर्माण और सामान्य उत्पादन 10 में से तीन अंक देता है तो इनोवेटिव गतिविधियां इसे सात-आठ तक ला सकती हैं।

उन्होंने कहा, ‘जैसा कि अब हम प्रतिबंधात्मक नियम हटा रहे हैं, हम यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि हम एक फ्रेमवर्क उपलब्ध कराएं जिसमें वह काम कर सकें। हम केवल स्टार्टअप ही नहीं बल्कि आर एंडी को भी सहयोग उपलब्ध करा रहे हैं।’

आईपीआर के मुद्दों से निपटने के लिए अब देश में व्यवस्थित दृष्टिकोण
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि न्यायपालिका के समर्थन ने भारत में आने वाले अधिक इनोवेशन (नवाचार) और कॉपीराइट को प्रोत्साहित किया है और आईपीआर से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए अब देश में एक व्यवस्थित दृष्टिकोण है।

उन्होंने न्यायाधीशों से कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट में आईपीआर बेंच गठित की जा रही है। आपके सामने अधिक संख्या में मामले आएंगे। लेकिन ऐसे सहयोग से मुझे लगता है कि अदालतों के लिए इस चुनौती का सामना करना आसान होगा।

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