उत्तराखंड के सैकड़ो छात्र अभी भी यूक्रेन में फॅसे हैं,परिजन चिंतित

यूक्रेन के अलग-अलग हिस्सों में की गई सैन्य कार्रवाई के बाद जो तस्वीरें सामने आ रही हैं। उसमें भयावह मंजर दिखाई दे रहे हैं। इससे यूक्रेन में फंसे उत्तराखंड के छात्रों के परिजनों में भय और चिंता का माहौल है। यूक्रेन के विभिन्न शहरों में मेडिकल की पढ़ाई और रोजगार की तलाश में गए सैकड़ों उत्तराखंडी फंसे हुए हैं। इनके परिजन अपने बच्चों के सकुशल वापसी की प्रार्थना कर रहे हैं। 

भारतीय छात्रों ने रोमानिया पोलैंड और हंगरी में ली है शरण
युद्ध की डरावनी रात कट गई लेकिन सुबह यूक्रेन धमाकों से दहलने लगा। हर किसी के चेहरे पर भय और चिंताओं की लकीरें साफ दिख रही थीं। मैं क्या मेरे आसपास रहने वाला हर शख्स डरा और सहमा था। सबकी जुबां पर ईश्वर का नाम था। जसपुर के मेघावाला गांव निवासी ललित चौहान ने यूक्रेन युद्ध की दास्तां साझा की। गिरवर सिंह का बेटा ललित यूक्रेन के इवानो फ्रैंकविस्क नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है।

ललित ने बताया कि बृहस्पतिवार की सुबह करीब पांच बजे उठे तो देखा तो लोग बाजार की ओर दौड़ रहे थे। कोई एटीएम पर लाइन लगा रहा था तो कोई दुकानों पर खरीदारी में व्यस्त था। वह भी सामान खरीदने के लिए निकल पड़े। बाजार में करीब घंटा भर ही बीता था कि धमाकों की आवाज सुनाई देने लगी।

ललित के अनुसार रूस ने हमला बोला तो लोग सहम गए। खारकीव शहर से हमलों की शुरुआत हुई और ओडेसाए कीव तक धमाके होने लगे। इवानो शहर के लोग घरों की ओर भाग खड़े हुए। कुछ ही मिनटों में इवानो फ्रैंकविस्क शहर में भी बम धमाका हो गया। यह धमाका उनके घर से पांच किमी की दूरी पर था। कीव में रूस ने बेलारूस की तरफ से हमला बोला। खारकीव के हालात तो और बदतर हैं।

सात किमी चलकर रोमानिया पहुंचे, अब कैंप में ठहरे
ललित के अनुसार शुक्रवार को शाम करीब तीन बजे रूस के तीन फाइटर जेट भी देखे। सायरन बजने लगा और प्रशासन की ओर से बंकरों में जाने के लिए लोगों को सतर्क किया जाने लगा। लेकिन हमने ऐसा नहीं किया। हमने एक प्राइवेट बस कर ली।  इस बीच एंबेसी से पता चला कि भारतीय प्रवासियों के लिए रोमानियाए पोलैंडए हंगरी में रिफ्यूजी कैंप लगाए जा रहे हैं। इसके बाद हमारी बस रोमानिया की तरफ चल दी। भारतीय समयानुसार सुबह करीब तीन बजे बस रोमानिया सीमा पर पहुंची। सीमा से करीब सात किमी पैदल चलकर हम रोमानिया पहुंचे। अब हम वहां बनाए गए कैंप में ठहरे हैं। यहां से एंबेसी की तरफ से सभी छात्रों को अपने.गंतव्य भेजने की तैयारी की जा रही है। संवाद

रोमानिया पहुंचा एक छात्रए परिजनों को राहत
मंगलौर का एक छात्र यूक्रेन से निकलकर रोमानिया पहुंच गया है। छात्र ने फोन पर परिजनों को इसकी जानकारी दी है। रोमानिया पहुंचने पर छात्र के परिजनों ने राहत की सांस ली है। अन्य छात्रों के परिजन भी उनके रोमानिया पहुंचने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। मंगलौर निवासी जमीर हसन अंसारी के बेटे अरीब अंसारी भी यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं।

परिजनों से बातचीत में अरीब अंसारी ने बताया कि भारतीय दूतावास की ओर से उन्हें छात्रावास में ही रुकने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं मंगलौर के मोहल्ला किला निवासी मोहम्मद नदीम के बेटे राहिम ने परिजनों को फोन कर जानकारी दी कि वह शनिवार को रोमानिया के बॉर्डर पर पहुंच गए हैं। 

हॉलैंड से 1500 किमी दूर खारकीव के बंकर में फंसी हैं तीन सहेलियां

यूक्रेन में फंसे काशीपुर के छात्र-छात्राएं खौफ के साये में वक्त काट रहे हैं। बमबारी के बीच तंग बंकरों में छिपे इन विद्यार्थियों का हर लम्हा उनकी सांसों को थामे हुए है। परिजनों से बात करते वक्त इनके होंठ कंपकंपा रहे हैं और अलफाज साथ छोड़ रहे हैं। फिर भी ये लोग एक.दूसरे को रुंधे गले से हिम्मत बधां रहे हैं।

मेडिकल स्टोर स्वामी शमीम सैफी ने डाक्टरी की पढ़ाई के लिए अपनी छोटी बिटिया उंजिला को यूक्रेन भेजा था। उंजिला वहां खारकीब की इंटरनेशननल यूनिवर्सिटी में थर्ड ईयर की छात्रा है। शनिवार की सुबह करीब साढ़े पांच बजे भी अना ने उंजिला का फोन अटेंड किया। वह बहुत घबराई हुई थीए उसके साथ मौजूद शुजा और शीतल भी रो रहीं थीं।

उंजिला ने बताया कि रुसी सेना ने उनके हॉस्टल को निशाना बनाकर मिसाइल दागी थी जो बिल्डिंग के सामने सड़क में धंस गई। बताया कि खारकीब से हंगरी और पोलैंड से करीब 1500 किमी दूर है। वहां के लिए फिलहाल ट्रांसपोर्ट की कोई व्यवस्था नहीं है। यूक्रेन में भारतीय दूतावास की ओर से एडवाईजरी जारी कर उन्हें वहीं बने रहने की हिदायत दी गई है। यूक्रेन में फंसे आरिफ आढ़ती के दोनों बच्चों मरियम व अहमद शम्स के भी कमोवेश यहीं हालात हैं।

हरिद्वार जिले के 21 छात्र छात्राएं फंसे हैं यूक्रेन में

यूक्रेन में जिले के 21 छात्र.छात्राएं अब भी विभिन्न शहरों में फंसे हुए हैं। इन छात्रों से वीडियो कालिंग करने के बाद परिजन चिंतित हैं। बच्चे अपने परिजनों को वीडियो कालिंग कर बता रहे हैं कि वह बंकरों में बैठे हैं। डर के चलते नींद नहीं आ रही है। वहीं खाने.पीने में भी समस्या खड़ी हो रही है।

खाने पीने का सामान खरीदने में खर्च हो गए पैसे
यूक्रेन और रूस के मध्य युद्ध छिड़ने से वहां भारतीय मूल के कई छात्रों  के फंसने से परिजन परेशान हैं। आंखों में आंसू्ए टीवी पर नजर और चेहरे पर  व्याकुलता अपनों की कुशलक्षेम के लिए साफ दिखाई दे रही है। कई.कई बार फोन करके हाल पूछ रहे हैं। रिश्तेदारए पड़ोस और जान पहचान के लोग भी उनके परिजनों से संपर्क कर रहे हैं। जो युद्ध के बीच यूक्रेन में फंसे हैं। हरिद्वार जिले के 21 छात्र.छात्राएं एमबीबीएस की पढ़ाई करने गए हैं।

जानकारी के अनुसार भारतीय दूतावास छात्रों के संपर्क में हैं। वहां फंसे छात्रों ने अपने परिजनों को बताया कि छात्र.छात्राओं को वहां से अलग-अलग देशों में सुरक्षित स्थान पर ले जाया जा रहा है। लेकिन सबसे ज्यादा संकट पैसों की कमी सामने आ रही है। कई छात्रों ने बताया कि जो पैसे थे, वह युद्ध छिड़ने पर खाने पीने का सामान खरीदने में खर्च हो गया।

अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व बीएस बुदियाल ने बताया कि शनिवार शाम तक जिले के 21 छात्र.छात्राएं यूक्रेन में फंसे हुए हैं। इनकी सूची बनाकर शासन स्तर पर भेज दी गई है। जिला प्रशासन सभी बच्चों के परिजनों ने उसकी कुशल क्षेम लगातार पूछ रहा है। 

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