पाकिस्तान:बिजली और पेट्रोल-डीजल के दाम घटा कर नए सवालों से घिर गए इमरान

देश में बढ़ती आर्थिक मुसीबत के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जो आर्थिक पैकेज घोषित किया है, उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की शर्तों का उल्लंघन माना जा रहा है। अभी कुछ ही समय पहले इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी सरकार ने इन शर्तों को कबूल किया था। लेकिन सोमवार को इमरान ने पेट्रोल की कीमत में दस रुपये और बिजली शुल्क में प्रति यूनिट पांच रुपये की कटौती का एलान कर दिया। विश्लेषकों का कहना है कि देश में अपनी घटती लोकप्रियता को संभालने के लिए प्रधानमंत्री ने ये कदम उठाया है। लेकिन इससे पाकिस्तान की मुसीबत बढ़ेगी।   

अर्थशास्त्रियों और आर्थिक टीकाकारों ने ध्यान दिलाया है कि आईएमएफ की शर्तों के कारण ही सरकार हाल में लगातार पेट्रोलियम के दाम बढ़ा रही थी। लेकिन अब अचानक उसने कदम पलट दिया है। थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल के दक्षिण एशिया सेंटर में स्थित पाकिस्तान इनिशिएटिव शाखा के निदेशक उजैर यूनुस ने कहा है- ‘पेट्रोल, डीजल और बिजली के दाम में कटौती का फैसला आईएमएफ की समीक्षा बैठक से ठीक पहले लिया गया है। अब सवाल उठता है कि उस बैठक में क्या बात होगी। जो कदम उठाए गए हैं, वे आईएमएफ के साथ बनी सहमति के बिल्कुल उलट हैं।’

पाकिस्तान मुद्रा के अवमूल्यन का खतरा

उजैर यूनुस ने ध्यान दिलाया है कि अभी लोगों को जो राहत दी गई है, उसकी लागत कर्ज लेकर चुकाई जाएगी। उस कर्ज का बोझ आखिरकार आम लोगों पर ही आएगा। कर्ज पर ब्याज भी चुकाना होगा। साथ ही पाकिस्तान मुद्रा के अवमूल्यन का खतरा भी अब बढ़ गया है। उन्होंने कहा- इन घोषणाओं का मतलब है कि इमरान खान अब चुनाव की तैयारी में सस्ती लोकप्रियता पाने की होड़ में खुल कर उतर गए हैं।

अविश्वास प्रस्ताव से डरे इमरान

बिजनेस पत्रकार खुर्रम हुसैन ने भी एक ट्विट में कहा- गुडबाय आईएमएफ, हेलो इलेक्शंस। उन्होंने कहा कि सरकार ने ये कदम बेहद खराब समय पर उठाया है। एक अन्य पत्रकार जरार खुशरो ने लिखा है कि इस कदम से सरकार को लोकप्रियता मिलेगी, लेकिन इस राहत को टिकाऊ बनाना संभव नहीं है। टीकाकारों ने यह सवाल भी उठाया है कि इस राहत से राजकोष पर जो बोझ पड़ेगा, उसकी कीमत कौन चुकाएगा। पत्रकार असद अली टूर ने लिखा है- ‘ईंधन और बिजली की कीमत में कटौती विपक्ष को मात देने के लिए की गई है। इसका मतलब है कि प्रधानमंत्री को अहसास है कि अब सत्ता उनके हाथ से जाने वाली है और उनके बाद जो भी सत्ता में आएगा, आईएमएफ के दबाव की वजह से उसके लिए कीमतों को इस स्तर पर बनाए रखना संभव नहीं होगा।’

विपक्षी दलों ने इसे इमरान खान की अपनी सरकार बचाने की निरर्थक कोशिश बताया है। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज की सचिव मरियम औरंगजेब ने ध्यान दिलाया कि पीटीआई सरकार ने पेट्रोल के दाम में 70 रुपये प्रति लीटर और बिजली शुल्क में 15 रुपये प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की थी। अब उसमें क्रमशः दस और पांच रुपये की छूट दी गई है। उन्होंने कहा- ये कटौती लोगों की पीड़ा और मुश्किलों को ध्यान में रख कर नहीं की गई है। बल्कि विपक्ष की तरफ से लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव के डर से ये कदम उठाया गया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here