सस्ती डॉक्टरी की पढ़ाई पड़ी जिंदगी पर भारी

यूक्रेन के बॉर्डर पर मौसम भी अब भारतीय छात्रों की परीक्षा ले रहा है। छात्र संकल्प बर्फबारी के बीच करीब 16 घंटे रोमानिया में प्रवेश के लिए बॉर्डर पर खड़ा रहा। लाड़ले ने वीडियो भेजी तो घर में सुमन देवी भावुक हो गई। महाशिवरात्रि की सुबह छात्र को आखिरकार रोमानिया में प्रवेश मिल गया।

नई मंडी निवासी बैंक मैनेजर आशीष प्रसाद का बेटा संकल्प यूक्रेन से एमबीबीएस कर रहा है। रूस के हमले के बाद से वह स्वदेश लौटने की कोशिश में जुट गया था। सैदपुर गांव के प्रधान और संकल्प के मामा नीरज कुमार ने बताया कि रोमानिया बॉर्डर पर बेहद मुश्किल हालात का सामना करना पड़ा। संकल्प ने वीडियो भेजकर बताया कि करीब छह हजार लोग यूक्रेन छोड़ने के लिए यहां पहुंच गए हैं। अधिकतर लोगों के पास खाने का सामान नहीं है।

 कोई बॉर्डर से पीछे हटने के लिए भी तैयार नहीं है। रात होते ही बर्फबारी होने लगी, जिससे स्थिति विकट हो गई। बेटे को मुश्किलों में घिरा देख परिवार मायूस भी हुआ, लेकिन खुद संकल्प ने हौसला बढ़ाया। मां सुमन देवी बार-बार भावुक हो रही थी। लेकिन किसी तरह 16 घंटे बाद बॉर्डर पार होकर छात्र रोमानिया में पहुंच गया है और अब स्वदेश के लिए फ्लाइट मिलने का इंतजार है।

बॉबी ने दस घंटे बाद बॉर्डर पार किया
जानसठ निवासी हाजी शाहिद ठेकेदार का पुत्र शाहफिज उर्फ बॉबी एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए यूक्रेन गया था। परिजनों के अनुसार छात्रों को बहुत ही मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। 10 घंटे तक छात्र यूक्रेन का बॉर्डर पार करने के लिए लंबी लाइनों में खड़े रहे। कई छात्रों की तो तबीयत भी खराब हो गई। बॉर्डर पर सर्दी भी बहुत ज्यादा हो रही है। वहां की एजेंसियों द्वारा छात्रों को वहीं से बसों में सवार करने के उपरांत उन्हें शेल्टर हाउस में ले जाकर रोक दिया गया है। अभी तक भी छात्रों को यह नहीं पता किस समय की फ्लाइट से उन्हें अपने देश में उनके घर पहुंचाया जाएगा। रोमानिया से बुखारेस्ट हवाई अड्डे पहुंचा हर्ष
बुढ़ाना। हर्ष रोमानिया शहर के बाहर बने भारतीय शेल्टर होम बुखारेस्ट हवाई अड्डे के पास पहुंच गया है। वहां भारतीय शेल्टर होम में अन्य विद्यार्थियों के साथ हवाई अड्डा परिसर में प्रवेश करने का इंतजार कर रहा है। छात्र-छात्राओं को वहां पर कोई समस्या नही है।  रोमानिया शहर के भारतीय शेल्टर होम से  480 किलोमीटर दूरी तय करने के बाद बुढ़ाना का हर्ष अब बुखारेस्ट हवाई अड्डा परिसर से कुछ दूरी पर बने भारतीय शेल्टर होम में पहुंच गया। 

रोमानिया बाॅर्डर को रवाना हुआ अजीम
चरथावलनिवासी बैटरी कारोबारी मेहबान त्यागी के बेटे अजीम को सोमवार सुबह रोमानिया बॉर्डर से कुछ पहले रोक दिया गया। लिस्ट में नंबर आने के इंतजार में 15 दोस्तों संग वह पूरी रात वहीं ठहरें। वहां ठहरने का इंतजाम था। लेकिन खाने पीने की दिक्कत रही। पिता मेहरबान त्यागी ने बताया मंगलवार को उन्हें रोमानिया बॉर्डर के लिए रवाना कर दिया है। एक-दो दिन में लौटने वाली सूची में उसका नाम आ जाएगा। 

यूनिवर्सिटी की लिस्ट में आया अमन का नाम
नंगला राई निवासी अमन की स्वदेश आने की तमन्ना जल्द पूरी होने वाली है। पिता गुफरान ने बताया छात्र-छात्राओं को वापस भेजने वाली यूनिवर्सिटी की लिस्ट में अमन का नाम आ गया है। मंगलवार को बॉर्डर तक बस का किराया 1500 रुपये लिया गया। पोलीस बॉर्डर के रास्ते वह वापस लौटेगा। परिवार बेटे की आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे है।

यूक्रेन से घर लौटी मानवी का तिलक करतीं दादी।  संवाद

चरथावल का छात्र वैभव पहुंचा दिल्ली एयरपोर्ट
लंबी इंतजार के बाद चरथावल का छात्र वैभव त्यागी मंगलवार दोपहर ढाई बजे दिल्ली एयरपोर्ट पहुंच गया। छात्र ने बताया कि यूक्रेन बार्डर पर सडक़ पर जाम की वजह से हंगरी बॉर्डर तक 200 मीटर दूरी को पार करने में 12 घंटे लग गए। उजोहोरद शहर में एमबीबीएस तीसरे वर्ष की पढ़ाई करने वाले छात्र वैभव की वापसी पर पिता ललित की खुशी का ठिकाना नहीं है। छात्र ने बताया कि दूतावास के इंतजाम अच्छे है। हमें खाने पीने में कोई दिक्कत नहीं हुई।  हंगरी से वह दिल्ली पहुंचे और मंगलवार रात घर पहुंच जाएंगे। 

यूक्रेन से बहन मानवी के साथ घर लौटा अंश
यूक्रेन में फंसे भाई-बहन अंश भार्गव और मानवी मंगलवार को शामली अपने घर लौट आए। अंश और मानवी ने बताया कि यूक्रेन के बॉर्डरों पर हालात बहुत खराब हैं। सरकार फ्लाइट की संख्या बढ़ाकर तत्काल वहां से सभी छात्र-छात्राओं को सुरक्षित निकाले। धीमानपुरा निवासी प्रभात भार्गव का पुत्र अंश और पुत्री मानवी यूक्रेन पर हुए हमले में फंस गए थे। तभी से परिजनों को उनकी चिंता सता रही थी। अंश और मानवी ने बताया कि शनिवार को वह बस से रोमानिया बॉर्डर की ओर रवाना हुए थे।
 बॉर्डर पर करीब रात 10 बजे पहुंचे, वहां हजारों की संख्या में छात्र-छात्रा थे। करीब 22 घंटे वह बर्फ में फंसे रहे। पीने का पानी तक जम गया था।  रोमानिया पुलिस ने वहां बेकाबू होते छात्रों पर रबड़ बुलेट और आंसू गैस के गोले दागे। जिससे वहां भगदड़ मच गई। वह अपने साथियों से बिछड़ गए। इस दौरान कई छात्र चोटिल भी हो गए। बॉर्डर क्रॉस करने के बाद उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई। भारतीय दूतावास की टीम ने शानदार काम किया। अंश और मानवी को उनके पिता प्रभात भार्गव, मां रश्मि भार्गव और दादा अरविंद ने खूब प्यार दिया। दादी ने दोनों की आरती उतारी।

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