यूक्रेन संकट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार नजर बनाए हुए हैं. यूक्रेन में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए जारी अभियान के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को एक हाई लेवल मीटिंग की अध्यक्षता की.
इस बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, एनएसए अजीत डोभाल, विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला सहित कई अधिकारी मौजूद थे. बता दें कि करीब 20,000 भारतीयों में से अब तक 6000 को स्वदेश लाया जा चुका है. वहीं 17000 भारतीय नागरिक यूक्रेन की सीमाओं को छोड़ चुके हैं.
बता दें कि यूक्रेन के कुछ इलाकों में लगातार खराब होते हालात के बीच भारत ने अपने नागरिकों से खारकीव से तुरंत निकलने और इसके साथ ही तीन सुरक्षित स्थानों की ओर जाने को कहा है, जो 16 किलोमीटर के दायरे में हैं. दूतावास ने परामर्श में कहा कि जिन्हें वहां से निकलने के लिए कोई वाहन या बस नहीं मिल रही है और जो रेलवे स्टेशन पर हैं, वे पैदल ही पेसोचिन (11 किलोमीटर) , बाबाये (12 किलोमीटर) और बेजलीयुदोव्का (16 किलोमीटर) पहुंचे.
भारतीय नागरिकों को तुरंत खारकीव छोड़ने की सलाह
विदेश मंत्रालय ने कहा कि रूसी पक्ष से मिली सूचना के आधार पर यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने तत्काल अपने सभी नागरिकों से खारकीव छोड़ने को कहा है. इस बीच, नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने बताया कि पहला परामर्श जारी होने के बाद से यूक्रेन की सीमा से करीब 17,000 भारतीय निकल गए हैं. उसने यह भी बताया कि भारतीयों को देश वापस लाने को लेकर चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन गंगा’ अभियान के तहत पिछले 24 घंटे में छह उड़ान भारत पहुंच चुकी हैं.
युद्ध का सातवां दिन, रूस ने यूक्रेन में तबाही मचाई
यूक्रेन में सात दिन से चल रहे युद्ध में मारे गए लोगों की संख्या अभी स्पष्ट नहीं है. रूस और यूक्रेन, दोनों में से किसी ने मारे गए सैनिकों की संख्या नहीं बताई है. यूक्रेन की सरकारी आपात सेवा के अनुसार 2,000 से अधिक असैन्य नागरिक मारे जा चुके हैं, हालांकि इस दावे की पुष्टि नहीं हो सकी है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने बताया कि उसने 136 आम नागरिकों की मौत दर्ज की है, लेकिन मृतकों की वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक बताई जा रही है. करीब 8,74,000 लोग यूक्रेन छोड़ चुके हैं और संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी ने चेतावनी दी है कि यह संख्या जल्द 10 लाख के पार जा सकती है. कई लोगों ने भूमिगत बंकरों में शरण ले रखी है.