श्रीनगर: जोजिला दर्रा पर यातायात फिर हुआ बहाल

बर्फबारी के चलते छह जनवरी से जोजिला दर्रा को यातायात के लिए बंद कर दिया गया था। मौसम साफ रहने के चलते तीन फरवरी से यहां बर्फ हटाने का काम शुरू कर दिया गया था, जो लगभग पूरा हो चुका है। आज, 19 मार्च से इसे बहाल कर दिया जाएगा।

कश्मीर को लद्दाख के साथ जोड़ने वाले जोजिला दर्रा को बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन (बीआरओ) इस वर्ष 73 दिनों के रिकॉर्ड समय के बीच खोलने जा रही है। आज, 19 मार्च को श्रीनगर-लेह राजमार्ग को यातायात के लिए बहाल कर दिया जाएगा। आम तौर पर करीब 150 दिन तक बंद रहने वाले इस मार्ग को बीते वर्ष बीआरओ ने कड़ी मशक्कत के बाद 110 दिन के भीतर ही खोल दिया था। 11,650 फीट की ऊंचाई पर स्थित जोजिला दर्रा श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर रणनीति के लिहाज से महत्वपूर्ण दर्रा है और लद्दाख संभाग में तैनात भारतीय सेना और अन्य सुरक्षाबलों के ऑपरेशनल तैयारियों के लिए लाइफलाइन माना जाता है।
 

सर्दियों की शुरुआत में बर्फबारी के बाद अक्सर यह दर्रा नवंबर के दूसरे सप्ताह में बंद हो जाता है और अप्रैल के आखिरी सप्ताह में खोला जाता है। बीआरओ के प्रोजेक्ट बीकन के एक अधिकारी ने बताया कि जोजिला दर्रा, सोनमर्ग, गांदरबल से श्रीनगर की ओर 108 किलोमीटर की जिम्मेदारी प्रोजेक्ट बीकन के पास है, जबकि जोजिला के उस पार गुमरि से आगे लेह की ओर बीआरओ का प्रोजेक्ट विजयक सभी जिम्मेदारियां निभाता है।

अधिकारी ने बताया कि इस बार भारी बर्फबारी के चलते छह जनवरी से जोजिला दर्रा को यातायात के लिए बंद कर दिया गया था और मौसम साफ रहने के चलते तीन फरवरी से यहां बर्फ हटाने का काम शुरू कर दिया गया था, जो लगभग पूरा हो चुका है। जोजिला दर्रा पर करीब 15 फुट से अधिक बर्फ जमा थी, लेकिन कई जगहों पर हिमस्खलन के चलते अभी भी 30 फुट से अधिक बर्फ है, जिसे काटकर रास्ता निकाला गया है।

जोजिला दर्रा के ओआईसी कप्तान रितुल और आईसी (जेई) अमनदीप सिंह व उनकी 90 सदस्यीय टीम के कड़े प्रयासों से 19 मार्च को इस दर्रे को यातायात के लिए खोल दिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार इस वर्ष जोजिला पास का उद्घाटन करने के लिए केंद्रीय रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार पहुंच रहे हैं। इसके अलावा डीजी बीआरओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी, चीफ इंजीनियर प्रोजेक्ट बीकन ब्रिगेडियर आईके जग्गी के साथ अन्य सैन्य और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहेंगे।

‘मार्ग के बंद होने पर हवाई मार्ग पर निर्भर रहना पड़ता है’
बता दें कि पिछले साल इस राजमार्ग को भारत और चीन के बीच पैदा हुए गतिरोध के बाद ज्यादा से ज्यादा समय तक खुला रखने के निर्देश दिए गए थे। इस बीच प्रोजेक्ट बीकन और जोजिला के उस पार कारगिल वाले छोर से प्रोजेक्ट विजयक के अधिकारियों व जवानों ने इसे 31 दिसंबर, 2020 तक खुला रखा और इसे ‘ऑपरेशन स्नो लेपर्ड’ का नाम दिया गया था, लेकिन खराब मौसम और भारी बर्फबारी के चलते इस दर्रे पर जवानों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए क्लीयरेंस ऑपरेशन को स्थगित कर दिया गया था।

प्रोजेक्ट बीकन और प्रोजेक्ट विजयक के अधिकारियों व जवानों की मेहनत की सराहना करते हुए लद्दाख के लोगों ने इस बार रिकॉर्ड समय पर इसे खोलने के लिए बीआरओ का आभार व्यक्त किया है। उनका कहना है कि इससे लद्दाख के लोगों को काफी राहत मिलेगी जो इस मार्ग के बंद होने पर हवाई मार्ग पर निर्भर होते हैं। साथ ही सेना की काफिले की आवाजाही भी अब आसानी से हो पाएगी। बता दें कि विपरीत परिस्थितियों में हमेशा बीआरओ ने अपना लोहा मनवाया है और इस चुनौती को पूरा कर उन्होंने अपने उद्देश्य को साबित किया है।

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