हरियाणा: सीएम बोले- कर्ज के मर्ज का होगा प्रभावी इलाज

हरियाणा विधानसभा में लंबी चर्चा और बहस के बाद मनोहर सरकार का साल 2022-23 का एक लाख 77 हजार 256 करोड़ रुपये का भारी-भरकम बजट पास हो गया। बजट पर चर्चा के दौरान सबसे बड़ी बात जो उभरकर सामने आई, वह राज्य पर बढ़ता हुआ कर्ज है। इसे लेकर विपक्ष चिंतित है तो सरकार निश्चिंत है। हर किसी का अपना सोचने का नजरिया होता है। सरकार का मानना है कि उसने कर्ज लेने के केंद्र सरकार के निर्धारित मापदंडों को पार नहीं किया है।

दो साल तक कोरोना की मार ङोलने के बावजूद हरियाणा में जीएसडीपी (राज्य सकल घरेलू उत्पाद) की दर कम नहीं हुई है, बल्कि बढ़ी ही है। सरकार इसका श्रेय अपने कुशल वित्तीय प्रबंधन को देती है, लेकिन विपक्ष इस बात को लेकर चिंता जता रहा कि आखिर राज्य पर बढ़ते जा रहे इस कर्ज का निपटान कैसे हो पाएगा? सरकार के पास विपक्ष की इस चिंता का जवाब है।

जीएसडीपी ठीक वैसी ही है, जैसे किसी छात्र का अंकपत्र होता है। जिस तरह अंकपत्र से पता चलता है कि छात्र ने साल भर में कैसा प्रदर्शन किया है और किन विषयों में वह मजबूत या कमजोर रहा है, उसी तरह जीएसडीपी आर्थिक गतिविधियों के स्तर को दिखाता है और इससे यह पता चलता है कि किन सेक्टरों की वजह से इसमें तेजी या गिरावट आई है। जब अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन करती है, तो कारोबारी ज्यादा पैसा निवेश करते हैं और उत्पादन बढ़ाते हैं, क्योंकि भविष्य को लेकर वे आशावादी होते हैं.

परंतु जब जीएसडीपी के आंकड़े कमजोर होते हैं, तो हर कोई अपने पैसे बचाने में लग जाता है। इससे आर्थिक सुधार सुस्त हो जाता है, मगर हरियाणा के लिए यह सुखद बात है कि राज्य की जीएसडीपी में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। देश की अर्थव्यवस्था में हरियाणा का योगदान 3.4 प्रतिशत है, जिसे चार प्रतिशत करने का इरादा प्रदेश सरकार ने जाहिर किया है। वर्ष 2014 में जीएसडीपी के 3,70,535 करोड़ के मुकाबले 2021-22 में 5,88,771 करोड़ तक जीएसडीपी पहुंच चुकी है।

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