कोरोना संक्रमण एक तरफ जहां लोगों के लिए परेशानी लेकर आया तो कुछ ने इस मौके का फायदा भी उठाया। इस दौरान जब लाकडाउन की वजह से लोग घरों में कैद थे तब गोविंद खाली सड़क पर संघर्ष की कहानी बुन रहा था। ऐसी ही कई सड़कों और खाली प्लाटों में ट्रेनिंग कर गोविंद साहनी मुक्केबाजी में पहले राष्ट्रीय और अब अंतरराष्ट्रीय चैंपियन बन गए।
गोविंद ने थाइलैंड में हो रही ओपन इंटरनेशनल बाक्सिंग चैंपियनशिप के 48 किग्रा भार वर्ग में वियतनाम, कजाकिस्तान और मेजबान थाइलैंड के खिलाड़ी को 5-0 से रौंदते हुए देश को सोना दिलाया।
इस चैंपियनशिप में 55 देशों के मुक्केबाज प्रतिभाग कर रहे हैं। संघर्ष के दिनों में गोविंद के साथी खिलाड़ी विजय प्रताप सिंह बताते हैं कि गोविंद ने अक्टूबर 2021 में सर्बिया में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया था, पर कोई पदक हाथ नहीं लगा। उसके बाद ही गोविंद ने प्रण कर लिया था कि देश के लिए खेलने का जब भी मौका मिलेगा, हम जरूर जीतेंगे। तभी से उसने अभ्यास का समय बढ़ा दिया।
इस बार देश के लिए मौका मिला और गोविंद ने बाजी मार ली। गोविंद के इस प्रदर्शन से उनके साथी मुक्केबाजों ने सरोजनीनगर स्थित मैदान पर मिठाई बांटकर जश्न मनाया। इससे पहले कनार्टक में पुरुष एथलीट राष्ट्रीय बाक्सिंग चैंपियनशिप में गोविंद ने 46-48 किलोग्राम भार वर्ग में चंडीगढ़ के मुक्केबाज को एकतरफा मुकाबले में 5-0 गोल से हराकर स्वर्ण पदक जीता था।