उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को फिर दोहराया कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञों की समिति गठित करने का निर्णय लिया गया है। उधमसिंह नगर के रूद्रपुर में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में सरकार गठन के बाद हमने सबसे पहले समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए कमेटी गठन करने का फैसला लिया। कमेटी के ड्राफ्ट के आधार पर देश में उत्तराखंड पहला राज्य होगा जहां समान नागरिक संहिता लागू किया जाएगा। समान नागरिक संहिता के संबंध में चुनाव से पूर्व किए अपने वायदे को पूरा करने की दिशा में हमने महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
बता दें कि मंत्रिमंडल की पहली बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य में समान नागरिक संहिता के क्रियान्वयन के लिये विशेषज्ञों की समिति बनाई जाएगी। विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय समिति के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जहां शांति कायम है और इसे बनाए रखना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘देवभूमि होने के अलावा, उत्तराखंड सैनिकों की भूमि भी है। राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक शांति को किसी भी कीमत पर बाधित नहीं होने दिया जाएगा।
यूनिफॉर्म सिविल कोड आखिर है क्या?
यूनिफॉर्म का मतलब गणवेश या ड्रेस नहीं होता, वर्दी नहीं होती। यूनिफॉर्म मतलब होता है एक समान। फ़िज़िक्स का बेसिक पढ़ते हुए यूनिफॉर्म मोशन जैसी चीज़ें पढ़ी होंगी। कॉन्सेप्ट वही है। जो एक समान हो। वही यूनिफ़ॉर्मिटी जब कपड़ों में लायी गयी तो सभी एक-से कपड़े पहनने लगे और वह कपड़ा यूनिफॉर्म हो गया। मकसद समानता लाने भर का था। यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है कि देश के सभी नागरिकों के लिए एक कानून हो। फिलहाल अलग-अलग मजहब के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ हैं। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हुआ तो सभी मजहबों के लिए शादी, तलाक, गोद लेने और जायदाद बंटवारे के लिए एक कानून हो जाएगा। फिलहाल इन मामलों का निपटारा हर धर्म के पर्सनल लॉ के तहत होता है। देश का संविधान समान नागरिक संहिता को समर्थन करता है। संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता का जिक्र है। लेकिन जब भी संविधान के व्याख्या के तहत कानून को ढालने की कोशिश हुई सियासत आड़े आ गई।