गेहूं खरीद में किसानों का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा: डीएम

मुजफ्फरनगर। आज जिलाधिकारी की अध्यक्षता में किसान संगठनों की बैठक का आयोजन किया गया जिसमें अपर जिलाधिकारी वित्त, उप जिलाधिकारी जानसठ,ए आर कोऑपरेटिव, डिप्टी आरएमओ, मंडी सचिव, लीड बैंक ऑफिसर मौजूद रहे।
बैठक में मुख्य रूप से किसानों से ऋण की वसूली, गेहूं खरीद, चकबंदी कार्य को पूरा किया जाना, किसानों को आवश्यकता पड़ने वाले प्रमाण पत्र जैसे खसरा खतौनी और हिस्सा प्रमाण पत्र की सुगमता से उपलब्ध कराने पर  विचार किया गया। धर्मेंद्र मलिक द्वारा अवगत कराया गया कि छनाइ, सफाई और उतराई के डर से किसान गेहूं लेकर केंद्र नहीं जाना चाहते है। जिससे धान खरीद प्रभावित हो रही है उतारने व सफाई के नाम पर किसानों का उत्पीड़न न  किया जाए। मानक के नाम पर झरना लगाए जाने के कारण भी किसान गेहूं क्रय केंद्रों पर नहीं बेच रहे हैं। इस बार तापमान के कारण गेहूं की मोटाई में कुछ कमी आई है जिसका रास्ता निकाला जाए। किसानों की जमीन को वसूली में नीलाम करने से पहले उन्हें ओटीएस योजना की जानकारी किसान की भाषा में सूचना व लोक अदालत में निस्तारण का मौका दिया जाए। जिससे किसान अपना ऋण चुका सकें। जिन गांव में चकबंदी कार्य 80% से ऊपर पूर्ण हो चुके हैं और गांव में अभियान चलाकर चकबंदी को 1 माह के अंदर समाप्त कराया  जाए। तहसील में किसानों की सुविधा हेतु हिस्सा खसरा खतौनी आदि प्रमाण पत्र की समय सीमा निर्धारित की जाए और इसके लिए अलग से तहसील स्तर पर हेल्पडेस्क खोले जाएं।
इन विषयों पर जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर ने गंभीरता से संज्ञान लेते हुए अधिकारियों को निर्देशित किया कि गेहूं खरीद में किसानों का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सफाई व गुणवत्ता के नाम पर किसानों का उत्पीड़न न किया जाए। जो किसान खुद उतार  व सफाई का कार्य करना चाहते हैं उनसे ₹20 नहीं काटे जाएंगे। इसकी सूचना क्रय  केंद्र पर अंकित की जाए। कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ सामंजस्य स्थापित कर गांव प्रधान व किसान सहायक की मदद से किसानों को क्रय केंद्र पर गेहूं ले जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए और गेहूं की मोबाइल खरीद गांव के अंदर भी चालू कराई जाए।
जिलाधिकारी ने चकबंदी अधिकारियों को निर्देशित किया कि ऐसे गांव चिन्हित कर जहां चकबंदी कार्य बहुत कम बचे हैं उन्हें 15 मई तक समाप्त किया जाए ऐसा न करने पर संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी
किसानों की ऋण वसूली हेतु किसी भी जमीन का नीलाम तब तक नहीं किया जाएगा। जब तक किसान को ओटीएस व लोक अदालत में अपनी बात रखने का मौका न दिया गया हो। किसी भी किसान की जमीन का नीलाम जिलाधिकारी के संज्ञान में लिए बगैर नहीं किया जाएगा अगर कोई किसान अपनी जमीन का कुछ हिस्सा बेचकर ऋण चुकाना चाहता है तो उसे जमीन विक्रय करने की स्वीकृति दी जाएगी।
जिलाधिकारी ने यह भी निर्देश दिया कि प्रत्येक तहसील में किसानों को हिस्सा प्रमाण पत्र, खसरा- खतौनी में किसी परेशानी का सामना ना करना पड़े, इसके लिए प्रत्येक तहसील में हेल्प डेस्क खोले जाएं और किसान के प्रार्थना पत्र प्राप्ति के तय समय सीमा में उनको प्रमाण पत्र प्रदान किए जाएंगे। इसके लिए प्रत्येक तहसील में एक हेल्प डेस्क खोले जायेगे।
बैठक में किसान चिंतक धर्मेंद्र मलिक, पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक बालियान भाकियू के नीटू दुल्हेरा, नीरज पहलवान, अक्षय त्यागी, निश्चल बालियान प्रधान भोरा खुर्द सहित कई किसान नेताओं ने भाग लिया। इस दौरान किसान हित में फैसले किए जाने पर जिलाधिकारी का धन्यवाद भी ज्ञापित किया गया।

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