छत्तीसगढ़: सरकार से बात के लिए नक्सलियों ने रखीं शर्ते

छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के 90 विधानसभा सीटों के दौरे के बीच राज्य के नक्सल प्रभावित बस्तर के जंगलों में मौजूद माओवादी राज्य सरकार से बातचीत को तैयार हैं। सीएम ने अपनी यात्रा शुरू करने से पहले नक्सली संगठनों को ऑफर दिया था कि वे अपनी इस यात्रा के दौरान सभी से बात करना चाहते हैं। सीएम की बातचीत की पेशकश पर नक्सलियों ने भी चर्चा के लिए कुछ शर्तें रखी हैं। दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प ने प्रेस नोट जारी कर माओवादी संगठन की शर्तें बताई हैं। भूपेश सरकार स्पष्ट राय रखें और शर्तों को पूरा करें तो माओवादी संगठन वार्ता को तैयार है।

दरअसल, 4 मई को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जनता से भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के लिए बलरामपुर रवाना हुए थे। इस दौरान राजधानी रायपुर में हेलीपैड पर मीडिया से चर्चा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नक्सलियों से वार्ता की पेशकश की थी। उन्होंने कहा था कि अगर नक्सली बातचीत करने आएं तो सरकार इसके लिए तैयार है। साथ ही उन्होंने नक्सलियों से हिंसा का रास्ता छोड़कर बातचीत करने और संविधान पर आस्था रखने की बात भी कही थी। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल के दौरान मुख्यमंत्री कई बार इस तरह की पेशकश कर चुके हैं, लेकिन संभवत: पहली बार इस मसले पर नक्सल संगठन की ओर से कोई प्रतिक्रिया जारी की गई है।

इन शर्तों के साथ बातचीत को तैयार हैं नक्सली
मुख्यमंत्री के इस बयान पर शुक्रवार को माओवादी संगठन के प्रवक्ता विकल्प ने प्रेस नोट जारी किया है। विकल्प ने कहा कि माओवादी संगठन वार्ता को तैयार हैं, लेकिन इससे पहले माओवादी संगठनों, पीएलजीए और जन संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंध हटाए जाएं। माओवादी संगठन को खुलेआम काम करने का अवसर दिया जाए।  बस्तर के जंगलों से सुरक्षाबलों के कैंप हटाए जाएं और जेल में बंद संगठन के नेताओं को वार्ता के लिए रिहा किया जाए। इन सभी शर्तों को सरकार पूरा करे तो माओवादी संगठन भी वार्ता को तैयार हैं।

उन्होंने कहा है कि एक तरफ सरकारें शांतिवार्ता की बात कह रहीं हैं, दूसरी तरफ हवाई हमले कर रही हैं। उन्होंने सरकार से पूछा कि किस संवैधानिक अधिकार के तहत यह हवाई हमले करवाए गए, यदि नहीं करवाए गए तो इसकी जांच करवाई जाए और पता लगाया जाए कि किस देश की सेना ने यह करवाया, उन्होंने कैंप खोलने, सर्चिंग अभियान तेज करने जैसे विषयों का विरोध किया और पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ का भी आरोप लगाया है।

नक्सली संगठन की शर्तों को नहीं मानती सरकार
यह कोई पहली दफा नहीं है जब माओवादियों ने वार्ता की पेशकश को स्वीकार किया है। इससे पहले भी माओवादी संगठनों ने समय-समय पर अपनी शर्तों पर वार्ता करने की बात कही है। माओवादियों ने कहा कि उनकी शर्तों को सरकार हमेशा मानने से इनकार करती रही है लेकिन अगर सीएम भूपेश बघेल इन शर्तों को पूरा करते हैं तो माओवादी संगठन उनसे बातचीत को तैयार हैं।

यह कहना है पुलिस का
बस्तर संभाग के पुलिस आईजी सुंदराज पी का कहना है कि भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) संगठन के दण्डाकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर शासन से शांति वार्ता के लिए सशर्त पेशकश की गई है। शासन के निर्देश के अनुसार क्षेत्र की जनता के हित के लिए बस्तर में तैनात पुलिस एवं सुरक्षा बलों द्वारा समर्पित होकर कार्य किया जा रहा है। बस्तर क्षेत्र में शांति व्यवस्था स्थापित किया जाना सभी के हित में है। माओवादी संगठन के साथ शांति वार्ता शासन स्तर से संबंधित है। उम्मीद है कि बस्तर क्षेत्र में बहुत जल्दी शांति स्थापित होकर क्षेत्र की जनता की मंशा के अनुरूप विकास कार्यों को गति प्रदान करने में हम सफल होंगे।

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