बिहार छात्र आंदोलनों की उपजाऊ जमीन रही है। जब जब छात्रों में सड़कों से हुंकार भरी है उस वक्त के सबसे ताकतवर सिहासन को चुनौती दी गई है। अग्नीपथ योजना के विरोध में बिहार उबल रहा है। वही सेना और सरकार प्रताप भैया संकेत दे रहे हैं कि अग्निपथ पीछे हटने की गुंजाइश कम है। सरकार और नौजवानों के सामने आने से बिहार में राजनीतिक स्थिरता में भी हलचल होने लगी है। अग्नीपथ आंदोलन को लेकर अपनी अपनी समझ को लेकर बिहार में एनडीए गठबंधन के घटक दलों ने एक-दूसरे को निशाने पर लिया।
बिहार में सत्ताधारी एनडीए गठबंधन अग्निपथ आंदोलन की अग्नि परीक्षा में है। अपनी अपनी सियासी कमिटमेंट को लेकर एनडीए के तमाम नेता अग्निपथ के तापमान को अलग-अलग दूरी से नाप रहे हैं। सेना में नई भर्ती के मामले में बीजेपी और जेडीयू नेताओं में हिंसक विरोध को लेकर जुबानी जंग शुरू हो गई है उनके नाम बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने प्रशासन के रवैए पर सवाल उठाए हैं। वहीं जेडीयू हिंसा के लिए केंद्र की योजना को जिम्मेदार बता रही है।
बिहार एनडीए में हालिया मतभेद की शुरुआत बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल के घर पथराव से होती है। संजय जयसवाल बेतिया से आते हैं। हमले से आहत जयसवाल ने अपने ही गठबंधन के प्रशासकों को आड़े हाथों लेते हुए कार्रवाई की मांग कर डाली। बिहार के गृह मंत्रालय का जिम्मा खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास है। ऐसे में संजय जयसवाल के प्रशासन पर सवालिया निशान को जेडीयू ने अपने नेता पर हमले की तरह देखा। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने संजय जायसवाल के बयान पर पलटवार करते हुए नीतीश कुमार को एक योग्य प्रशासक करार दिया। अग्निपथ बवाल से पल्ला झाड़ते हुए जेडीयू ने केंद्र सरकार पर सारा जिम्मा फोर डाला।