कानपुर हिंसा में पुलिस ने मुख्य आरोपित हयात जफर हाशमी के साथ जिस जावेद अहमद को जेल भेजा है, वह उम्मीद से ज्यादा शातिर निकला। जावेद अहमद पुलिस के क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) में काम कर चुका है। इसलिए उसे पुलिस के कामकाज के तौर-तरीकों के बारे में सटीक जानकारी थी। इसके साथ ही उसने 2019 में लोकसभा चुनाव भी लड़ा था।
आरोपी जावेद अहमद ने एक राजनीतिक पार्टी की सदस्यता भी ले ली थी। 2019 में उसने कानपुर से लोकसभा का चुनाव भी निर्दलीय लड़ा था। इसमें उसे 600 से ज्यादा वोट मिले थे। सुरक्षा एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक जावेद ने पूछताछ में कहा था कि उसकी लोकप्रियता को जितना रोकने का प्रयास होगा, वह उतनी ही तेजी से बढ़ेगी।
बता दें कि 3 जून की हिंसा के बाद पुलिस ने लखनऊ में एक यू-ट्यूब न्यूज चैनल के दफ्तर से हयात जफर हाशमी, जावेद अहमद, मोहम्मद सुफियाना और मोहम्मद राहिल को गिरफ्तार किया था। एसआईटी ने दो बार चारों लोगों की पुलिस कस्टडी रिमांड ली पर ज्यादातर फोकस हयात जफर से पूछताछ पर रहा। जावेद की तरफ पुलिस अधिकारियों का ध्यान बहुत कम गया। एटीएस और एसटीएफ ने जावेद अहमद को लेकर जांच शुरू की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
कम्प्यूटर हार्डवेयर का जानकार
सुरक्षा एजेंसियों ने पुलिस कस्टडी रिमांड के दौरान जावेद अहमद से पूछताछ की तो पता चला कि 2014-15 में कुछ समय के लिए पुलिस की सीसीटीएनएस में काम चुका था। दरअसल सीसीटीएनएस को हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर सपोर्ट बाहरी कम्पनी देती है। जावेद ने कम्प्यूटर हार्डवेयर की पढ़ाई की थी और उसी कम्पनी में नौकरी करता था, जो सीसीटीएनएस कंट्रोल रूम का काम करती थी। पूछताछ में उसने कबूला की 7-8 माह की नौकरी में उसे यह अच्छे से समझ में आ गया था कि सूचना मिलने पर पुलिस कैसे काम करती है। नई सड़क में हुई घटना के बाद उसे इसी अनुभव का फायदा मिला।