भोपाल। गीता को अपना असली परिवार आखिरकार मिल गया है। वह साल 2015 में पाकिस्तान से लौटने के बाद से ही परिवार की तलाश में थी। पुलिस की मदद से गीता के परिवार को मध्यप्रदेश के अलावा कई दूसरे राज्यों में तलाश किया गया। ये तलाश 7 साल चली और आखिरकार महाराष्ट में उसका परिवार मिल गया। गीता महाराष्ट्र के परभड़ी की रहने वाली है।
मंगलवार को भोपाल जीआरपी ने गीता, उसकी मां और बड़ी बहन को लेकर एक प्रेस कांन्फ्रेंस की। इस दौरान गीता के बारमें पूरी जानकारी दी गई। इस दौरान गीता ने मीडिया, पुलिस और प्रशासन का आभार जताया। इसके अलावा उसने पाकिस्तान में अपने अनुभव के बारे में भी बताया।
क्या कहा गीता ने?
अपनी लैंग्वेज में गीता ने बताया कि ‘मैं बचपन से पढ़ी नहीं, पहले मैं पाकिस्तान के कराची में रही फिर में लाहौर आई। मुझे इंडिया पसन्द हैं. मैं गलती से पाकिस्तान चली गई थी। आगे चलकर मैं मूक बधिरों की टीचर बनाना चाहती हूं। गीता ने बताया कि उसने कराची में जिद करके उसने मंदिर बनवाया था।
ऐसे पहुंची थी पाकिस्तान
गीता की मां मीना पंडारे ने कहा कि 1999 में आठ साल की उम्र में राधा घर से निकलकर भटकते हुए नजदीक स्थित स्टेशन पहुंची और सचखंड एक्सप्रेस में बैठकर अमृतसर पहुंच गई। वहां वह स्टेशन पर भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में बैठ गई। इस तरह गलती से वह पाकिस्तान पहुंच गई।
ऐसे जुड़ा महाराष्ट्र से कनेक्शन
भारत आने के बाद गीता मध्यप्रदेश के इंदौर में मूक-बधिरों की मदद करने वाली संस्था आनंद में रह रही थी। संस्था के संचालक ज्ञानेन्द्र पुरोहित ने कई स्तर पर परिवार तलाशने की कोशिश की। गीता से बातचीत के दौरान उन्हें पता चला कि उसके घर के पास रेलवे स्टेशन के साथ-साथ अस्पताल भी है। तब रेलवे के मिसिंग चाइल्ड नेटवर्क की मदद से ऐसे शहर तलाशे गए जहां रेलवे स्टेशन और अस्पताल नजदीक हों तब महाराष्ट्र का परभणी चिन्हित हुआ।
ऐसे हुई पहचान परिवार की पहचान
इसके बाद महाराष्ट्र की पहल संस्था के अशोक कुलकर्णी ने भी तलाश शुरू की। इस बीच परभणी की बस्तियों में ऐसे गायब बच्चों को तलाश गया। तब एक परिवार ने अपने रिश्तेदार की मूक बधिर बेटी राधा के गुमशुदा होने की सूचना दी। फिर मां मीना ने बताया कि राधा उर्फ गीता के पेट पर जन्म से एक निशान है। इसका मिलान होने के बाद गीता को मां से मिलाया गया है। बाद डीएनए मिलान में भी मीना की ही बेटी होने की पुष्टि हुई।
राधा है गीता का असली नाम
भोपाल रेल आईजी महेंद्र सिंह सिकरवार के अनुसार, समझौता एक्सप्रेस से गलती से यह बच्ची पाकिस्तान चली गई थी। उसने साइन लैंग्वेज से बड़ी मुश्किल से बताया कि उनका नाम कृष्ण भगवान से रिलेटेड है। काफी मेहनत के बाद पता चला कि उसका नाम राधा है, लेकिन लोग उसे गीता के नाम से जानते हैं।
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ली थी देखभाल की जिम्मेदारी
पूर्व विदेश मंत्री स्व सुषमा स्वराज ने गीता को पाकिस्तान से वापस भारत लाने में काफी मदद की थी और उसकी पूरी देखभाल की जिम्मेदारी भी ली थी. इसके अलावा उसके परिवार की खोज करके सही सलामत पहुंचाने की भी जिम्मेदारी उठाई थी, लेकिन अचानक उनका निधन हो गया था, इसके बावजूद शासन-प्रशासन लगातार गीता के परिवार को खोजने में लगा हुआ था और ये खाज पूरी हुई।