देश में दूरदृष्टि वाले और विश्वस्तरीय संस्थान विकसित करने की जरूरत: धर्मेंद्र प्रधान

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को कहा कि देश में दूरदृष्टि वाले और विश्वस्तरीय संस्थान विकसित करने की जरूरत है तथा ‘शिक्षा समागम’ भारत को ज्ञान आधारित महाशक्ति बनाने की दिशा में एक कदम है। प्रधान ने वाराणसी में आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय शिक्षा समागम में अपने समापन भाषण के दौरान यह कहा। कार्यक्रम में शिक्षा जगत से जुड़े लोगों ने भारत को एक ज्ञान आधारित समाज बनाने के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लिया। 

प्रधान ने कहा, “हमें भारतीय मूल्यों, विचारों और सेवाभाव में निहित शिक्षा प्रणाली लानी होगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 हमें वह रास्ता दिखाती है जिससे शिक्षा को औपनिवेशिक बंधन से मुक्त किया जा सकता है और हमारी आकांक्षाओं को पूरा किया जा सकता है। इससे हमारी भाषाओं, संस्कृति और ज्ञान के प्रति गौरव की भावना जगेगी।” उन्होंने कहा, “एनईपी में मल्टी मॉडल शिक्षा, एकेडेमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स, मल्टीपल एंट्री-एग्जिट, कौशल विकास जैसे घटक हैं जो छात्र प्रथम-शिक्षक नीत शिक्षण की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं।” 

प्रधान ने कहा कि शिक्षा समागम, भारत को एक ज्ञान आधारित महाशक्ति के तौर पर स्थापित करने की दिशा में उठाया गया कदम है। उन्होंने कहा, “हमारी शिक्षा प्रणाली छात्र के लिए और शिक्षक के द्वारा होनी चाहिए। युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हमारा प्रशासन सब कुछ करेगा।” अखिल भारतीय शिक्षा समागम में 11 सत्र आयोजित किये गए जिसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के क्रियान्वयन पर चर्चा की गई।

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