पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से एक बार फिर अकाली नेता बिक्रम मजीठिया को झटका मिला है। मजीठिया की जमानत पर फैसला सुरक्षित रखने के बाद खंडपीठ के एक जज ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया था। इसके बाद सुनवाई के लिए नई बेंच गठित की गई थी।
शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश द्वारा गठित की गई नई बेंच के जज अनूप चितकारा ने भी खुद को इस केस से अलग कर लिया। ऐसे में अब सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश को नई बेंच गठित करनी होगी। मजीठिया नशा तस्करी मामले में 23 फरवरी से जेल में है और उनकी जमानत का मामला लंबे समय से लटका हुआ है।
इससे पहले नियमित जमानत की मांग को लेकर मजीठिया की ओर से दाखिल याचिका से जस्टिस एजी मसीह ने खुद को अलग करते हुए इसे अन्य बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया था।
मजीठिया ने सुप्रीम कोर्ट में अपने खिलाफ दर्ज इस एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया था लेकिन मजीठिया को निर्देश दिए थे कि वह अपनी इस मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर करें और हाईकोर्ट की खंडपीठ इस पर अपना फैसला सुना सकती है। इसके बाद मजीठिया ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस मामले में जमानत दिए जाने की मांग कर दी थी।
मजीठिया के खिलाफ पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में यह एफआईआर दर्ज की गई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव लड़ने तक मजीठिया की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए उन्हें राहत दे दी थी। मतदान के बाद 24 फरवरी को मजीठिया ने मोहाली कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। इसके बाद उन्हें पटियाला जेल भेज दिया गया। 10 मार्च को चुनाव परिणाम आया तो मजीठिया अमृतसर ईस्ट से चुनाव हार गए थे, तब से वह न्यायिक हिरासत में हैं।