केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर सोमवार को बड़ा फैसला किया। जानकारी के मुताबिक, सरकार ने एमएसपी और किसानों की अन्य मांगों को लेकर एक कमेटी का गठन कर दिया है। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने बताया कि जीरो बजट आधारित कृषि को बढ़ाना देने, फसल का पैटर्न बदलने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को ज्यादा असरदार व पारदर्शी बनाने के लिए एक समिति का गठन कर दिया गया है। समिति न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को मजबूत करने के उपाय सुझाएगी।
बताया जा रहा है कि कमेटी में 16 सदस्यों को नामित किया गया है। कमेटी में दस लोगों की जगह सरकारी अधिकारियों के लिए रखे गए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कोई नाम नहीं दिए जाने के कारण कमेटी में उसके किसी प्रतिनिधि को जगह नहीं मिली है। हालांकि, तीन स्थान उसके लिए खाली रखा गया है। यानी कमेटी में अध्यक्ष समेत कुल 29 सदस्य होंगे।
पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल को अध्यक्ष बनाया गया है। संयुक्त सचिव (फसल) कमेटी के सदस्य सचिव होंगे। सरकार ने इसकी गजट अधिसूचना जारी कर दी है। सरकार ने अन्य किसान संगठनों के पांच सदस्यों को इसमें शामिल किया है। कृषि और सहकारिता क्षेत्र के विशेषज्ञों को इसमें जगह मिली है। दूसरी ओर संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार की इस कमेटी को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि इसमें अधिकांश सदस्य सरकार समर्थक हैं।
ये हैं सदस्य
- गुणवंत पाटिल, कृष्णवीर चौधरी, प्रमोद कुमार चौधरी, गुणी प्रकाश और पाशा पटेल (किसान प्रतिनिधि), दिलीप संघाणी (इफको चेयरमैन), बिनोद आनंद (सहकारिता विशेषज्ञ), कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के वरिष्ठ सदस्य नवीन प्रकाश सिंह, राष्ट्रीय कृषि विस्तार संस्थान के महानिदेशक डॉ. पी. चंद्रशेखर, कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेस जम्मू के कुलपति डॉ. जेपी शर्मा, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के वाइस चांसलर डॉ. प्रदीप कुमार बिसेन, भारत भूषण त्यागी (पद्मश्री किसान), नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद, भारतीय आर्थिक विकास संस्थान के डॉ. सीएससी शेखर और आईआईएम अहमदाबाद के डॉ. सुखपाल सिंह।
- इनके अलावा कृषि विभाग, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग, और सहकारिता और वस्त्र मंत्रालय के सचिवों को कमेटी में पदेन शामिल किया गया है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, सिक्किम और ओडिशा के कृषि आयुक्त भी इसमें पदेन शामिल होंगे।