भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद छोड़ने से एक दिन पहले रविवार को राष्ट्र के नाम संबोधन दिया। कोविंद ने अपने अनुभवों पर चर्चा करते हुए कहा, “अनेक देशवासियों से मिलने के बाद मेरा विश्वास दृढ़ हुआ कि हमारे लोग ही असली राष्ट्र निर्माता हैं। ऐसे महान देशवासियों के हाथ में हमारा भविष्य सुरक्षित है।”
राष्ट्रपति ने कहा, “जब अपने छोटे से गांव में एक बालक के तौर पर मैं अपने भविष्य को समझने की कोशिश कर रहा था, तब आजादी मिले कुछ ही समय हुआ था। मुझे उम्मीद थी कि मैं भी राष्ट्र निर्माण में कुछ योगदान करुंगा। यह भारत के लोकतंत्र की ताकत है कि इसमें नागरिकों के लिए दरवाजे खुले हैं कि वह कुछ भी कर सकते हैं। हमारे पूर्वजों और हमारे आधुनिक राष्ट्र-निर्माताओं ने अपने कठिन परिश्रम और सेवा भावना के द्वारा न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के आदर्शों को चरितार्थ किया था। हमें केवल उनके पदचिह्नों पर चलना है और आगे बढ़ते रहना है।”
निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान समाज के सभी वर्गों से पूर्ण सहयोग, समर्थन और आशीर्वाद मिला। उन्होंने कहा, “कानपुर देहात के एक गांव का आदमी आज आपको संबोधित कर रहा है तो यह भारत के लोकतंत्र की जीवंतता का प्रमाण है। पीएम मोदी को लेकर कोविंद ने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री जी भी मेरे गांव आए और उन्होंने गांव का मान बढ़ाया।”
उन्होंने अपने कार्यकाल के पांच वर्षों को लेकर कहा कि इस दौरान मैंने अपनी पूरी योग्यता से अपने दायित्वों का निर्वहन किया है। मैं डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, डॉक्टर एस. राधाकृष्णन और डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम जैसी महान विभूतियों का उत्तराधिकारी होने के नाते बहुत सचेत रहा हूं।
राष्ट्रपति ने युवाओं से अपनी जड़ों से जुड़े रहने और देशवासियों से भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण संरक्षण का आह्वान करते हुए कहा कि प्रकृति मां गहरी पीड़ा से गुजर रही है। जलवायु संकट इस ग्रह के भविष्य को खतरे में डाल सकता है। कोविंद ने कहा कि देश हर परिवार को बेहतर आवास, पेयजल और बिजली उपलब्ध कराने के उद्देश्य से काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव विकास और सुशासन के जरिए संभव हुआ है, जिसमें किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं है।
उन्होंने कहा कि महामारी ने सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे में और सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया है। मुझे खुशी है कि सरकार ने इस कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। उन्होंने पर्यावरण के लिए खतरे का विशेष उल्लेख किया और सभी नागरिकों से आने वाली पीढ़ियों के लिए इसका ध्यान रखने को कहा। कोविंद ने कहा कि प्रकृति मां गहरी पीड़ा से गुजर रही है और जलवायु संकट इस ग्रह के भविष्य को खतरे में डाल सकता है। हमें अपने बच्चों की खातिर अपने पर्यावरण, हमारी जमीन, हवा और पानी का ख्याल रखना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अपनी दिनचर्या में तथा रोजमर्रा की चीजों का इस्तेमाल करते समय हमें अपने पेड़ों, नदियों, समुद्रों और पहाड़ों के साथ-साथ अन्य सभी जीव-जंतुओं की रक्षा के लिए बहुत सावधान रहने की जरूरत है। प्रथम नागरिक के रूप में, यदि अपने देशवासियों को मुझे कोई एक सलाह देनी हो तो मैं यही सलाह दूंगा।
पीएम मोदी ने की तारीफ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति कोविंद के संबोधन की सराहना की। उन्होंने कहा कि उनका संबोधन प्रेरक था। उनकी टिप्पणी राष्ट्रीय प्रगति के प्रति उनके जुनून को प्रदर्शित करती है और उस भावना को दर्शाती है जिसके साथ उन्होंने हमारे राष्ट्रपति के रूप में देश की सेवा की।