मुजफ्फरनगर। जनपद में 14 साल पहले तीन दलितों के उत्पीड़न के मामले में विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाया है। दलित बस्ती में विद्युत ट्रांसफार्मर की रंजिश में तीन दलितों ने मारपीट कर घायल करने और अपमानित करने का आरोप लगाते हुए 6 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। यह केस 14 साल चला और अदालत ने सभी 6 आरोपियों को दोषी मानते हुए उनको 3 साल की कैद और जुर्माना लगाया है। अभियोजन ने अपने केस में 7 गवाह कोर्ट में पेश किये।
जानकारी के मुताबिक साल 2008 में भोपा थाना क्षेत्र के गांव रुड़कली में तीन दलितों ने थाने में दी गयी शिकायत में आरोप लगाया था कि हमला कर उनको घायल कर दिया गया था। इस मामले में 6 आरोपी नामजद किये गये थे। मामले की जांच सीओ ने की और आरोप पत्र अदालत में पेश कर दिया था। इस मामले में अब विशेष न्यायालय एससीएसटी एक्ट के न्यायाधीश जमशेद अली ने फैसला सुनाते हुए सभी 6 आरोपियों को तीन तीन साल की कैद सुनाई है। विशेष लोक अभियोजक अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम यशपाल सिंह ने बताया कि 31 अगस्त 2008 को वादी अमित कुमार पुत्र रामचन्दर निवासाी गांव रुड़कली ने थाना भोपा में एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें अमित कुमार ने आरोप लगाया था कि वह अनुसूचित जाति वर्ग से है और 29 अगस्त 2008 को समय करीब सुबह 7 बजे वह जनेश्वर के साथ दिशा शौच से वापस लौट रहा था। रास्ते में उनको असजद, नईमुदीन, डा. उस्मान, मौ. कमर, इरफान और सैदा मिले और इन सभी ने उनको रोककर लाठी डंडों से हमला कर दिया। जातिसूचक शब्दों से अपमानित भी किया। इस झगड़े में अमित, जनरेश्वर और जोनी को चोट आई। अमित के अनुसार गांव के ही जयप्रकाश, चन्दन, सुन्दर, सुभाष भी मौके पर आ गये और उन्होंने उनकी जान बचाई। आरोपियों पर जान से मारने की धमकी देने का आरोप भी अमित ने लगाया। अमित ने पुलिस को बताया था कि उनकी दलित बस्ती में विद्युत ट्रांसफार्मर रखा जाना था। विभाग से ट्रांसफार्मर आ भी गया था, लेकिन उक्त आरोपी उस ट्रांसफार्मर को जबरन बुग्गी में लादकर ले गये थे, इसी रंजिश में उन पर अगले दिन हमला किया गया।
अभियोजक यशपाल सिंह एडवोकेट के मुताबिक इसी रंजिश के कारण हुए हमले में 6 आरोपियों के खिलाफ तीनों घायलों का डाक्टरी परीक्षण कराते हुए भोपा पुलिस ने आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 323, 504 और 506 तथा एससीएसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया। सीओ विकास कुमार ने मुकदमे की विवेचना करते हुए अभियुक्तों के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दायर कर दिया था। यशपाल सिंह ने बताया कि इस केस का ट्रायल विशेष न्यायालय एससीएसटी एकट में हुआ। अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक एससीएसटी एक्ट द्वारा 7 साक्षी कोर्ट में पेश किये गये। उनकी गवाही पर आरोपी दोषी साबित हुए और न्यायालय ने अभियुक्त असजद, नईमुदीन, डा. उस्मान, कमर, इरफान व सैदा को 3 वर्ष सश्रम कारावास और 18 हजार रुपये प्रत्येक को अर्थदण्ड की सजा से दण्डित किया। इस मामले में यशपाल सिंह के साथ एडीजीसी क्रिमीनल सहदेव सिंह एडवाकेट ने भी पैरवी की।