19 अगस्त को लखीमपुर खीरी में योगेंद्र यादव, मेधा पाटेकर, राकेश टिकैत ने कहा कि भाजपा को किसान विरोधी नीतियों का जवाब हिमाचल, हरियाणा और राजस्थान में दिया जायेगा। 21 अगस्त को राकेश टिकैत जंतर-मंतर पर आयोजित किसान पंचायत में जाने को तैयार हुए तो उन्हें गाजीपुर बार्डर पर हिरासत में ले लिया गया और दो घंटे मधु विहार थाने में बैठाने के बाद छोड़ दिया गया। दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा फिर से डेरा डालने की घोषणा से प्रशासन और पुलिस सतर्क है। राकेश टिकैत ने केन्द्र को धमकी देते हुए कहा है कि पूर्व की भांति हमारे 4 लाख ट्रैक्टर दिल्ली में घुसने को तैयार खड़े हैं।
तीन राज्यों के विधान सभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों में सक्रियता बनाये रखने को संयुक्त किसान मोर्चा कब, कहां और कैसे मोर्चाबंदी करेगा, इस पर चर्चा करना अभी फिजूल है। यह काम टी.आर.पी बढ़ाने की जुगत में लगे टी.वी. चैनलों को करने दीजिये।
हम राजधानी दिल्ली से चन्द किलोमीटर दूर हरियाणा के मानेसर इलाके के उन किसानों की चर्चा करेंगे जो अपनी जायज़ एवं न्याय संगत मांग मनवाने को दो महीनों से धरने पर बैठे है। मानेसर क्षेत्र में हरियाणा इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने 1810 एकड़ भूमि अधिग्रहित करने के नोटिस किसानों को जारी किये हैं। राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून 2021 के सेक्शन 4 के अधीन जमीन की कीमत का भुगतान देने का फैसला किया है जो 55 लाख रूपये प्रति एकड़ निर्धारित की गई है, जबकि किसानों का कहना है कि यहाँ 11 करोड़ प्रति एकड़ पर भी भूमि उपलब्ध नहीं है। सरकार कोडियों के भाव हमारी जमीन लेना चाहती है।
मानेसर क्षेत्र के किसान गत 60 दिनों से न्याय की गुहार लगा रहे हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 24 अगस्त तक किसानों के अनुकूल निर्णय लेने का आश्वासन दिया है। सोमवार को मानेसर क्षेत्र के 360 ग्रामों के किसानों की महापंचायत हुई जिसकी अध्यक्षता महेन्द्र सिंह ठाकरान ने की। किसानों ने खट्टर सरकार को अन्तिम चेतावनी दी है कि 24 अगस्त तक किसानों के हक में फैसला हो जाना चाहिए अन्यथा हम आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे।
इस किसान पंचायत में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कहने पर उनके पुत्र दीपेन्द्र हुड्डा (राज्यसभा सदस्य), कांग्रेस विधायक कुलदीप वत्स तथा चिरंजीव राव के साथ पहुंचे। तीनों कांग्रेस नेताओं ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी किसानों की जमीन लूटना चाहती है। हम किसानों के साथ हैं और यह नहीं होने देंगे।
यदि किसानों की मांग का कांग्रेस समर्थन करती है तो इसमें कुछ बुरा नहीं। अन्य राजनीतिक दलों को भी सामने आकर किसानों का साथ देना चाहिए। हम तो चाहेंगे कि भाजपा और दुष्यन्त चौटाला की पार्टी भी किसानों को भूमि का वाजिब मूल्य दिलाने को राज्य सरकार पर दबाव बनायें।
दरअसल भूमि अधिग्रहण का मसला पेंचीदा व उलझन भरा व घपलों को जन्म देता है। उत्तर प्रदेश के नोएडा के लिए औद्योगिक विकास के नाम पर मात्र दो रुपये गज की दर से भूमि अधिग्रहित की गई थी। तत्कालीन केन्द्रीय राज्यमंत्री आरिफ मौहम्मद खान मुजफ्फरनगर दौरे पर आये थे और वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्री सोमांश प्रकाश जी के आवास पर जब मैंने श्री खान का ध्यान दो रूपये के मुआवजे की ओर आकर्षित किया तो उन्हें भी दो रुपये प्रति गज के मुआवजे पर आश्चर्य हुआ था। किसानों को जमीन का उचित मूल्म लेने के लिए लम्बा संघर्ष करना पड़ा। रामवीर सिंह बिधूड़ी दो दशकों तक किसानों का नेतृत्व करते रहे। जो भूमि के औद्योगिक विकास के लिए अधिग्रहित हुई थी वहां किस प्रकार लाखों रुपये मीटर की दर से जमीनें बिकीं, बिल्डरों व प्रमोटरों ने लूट मचाई यह सब के सामने है। राजनीतिक गौड फादर्स के संरक्षण में नेताओं, नौकरशाहों, पत्रकारों यहाँ तक कि न्याय का तराजू हाथों में लेने वाले जजों तक को प्लाटों की रेवड़ियां बांटी गईं। यह गोरख धंधा बहुत पहले से पूरे देश में चल रहा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री एआर अंतुले को भूमि घोटाले में अपनी कुर्सी गवानी पड़ी। अब संजय राउत भी पात्रा चॉल के चक्कर में फसे पड़े हैं।
किसानों की भूमि को मुफ्त के माल की तरह हड़पने से रोकने, उन्हें उचित मुआवजा दिलाने, किसानों के लिए वैकल्पिक भूमि या रोजगार उपलब्ध कराने, मुआवजा देने में पारदर्शिता बरतने के लिए ठोस नीति निर्धारित होनी चाहिये। इस और यदि राज्य या केन्द्र सरकार उदासीनता दिखाये तो सुप्रीम कोर्ट को स्वतः संज्ञान लेकर स्थायी समाधान करना चाहिये।
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’