लाउडस्पीकर पर अजान से लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता: हाई कोर्ट

बेंगलुरु. कर्नाटक हाई कोर्ट ने सोमवार को मस्जिदों में ‘अजान’ के लिए लाउडस्‍पीकर के इस्‍तेमाल पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. उच्च न्यायालय ने कहा है कि लाउडस्पीकर पर ‘अजान’ देने से अन्य धर्मों के लोगों के मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं होता. अदालत ने मस्जिदों को लाउडस्पीकर पर अजान देने से रोकने का आदेश देने से इनकार कर दिया. हालांकि, अदालत ने अधिकारियों को लाउडस्पीकरों से संबंधित ‘ध्वनि प्रदूषण नियम’ लागू करने और अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आलोक अराधे के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने बेंगलुरु के निवासी मंजूनाथ एस. हलावर की एक जनहित याचिका पर सुनवाई की. याचिका में कहा गया था कि ‘अजान देना मुसलमानों की एक आवश्यक धार्मिक प्रथा है, हालांकि अजान की आवाज अन्य धर्मों को मानने वालों को परेशान करती है.’

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि ‘भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 और 26 सहिष्णुता के सिद्धांत का प्रतीक है, जो भारतीय सभ्यता की विशेषता है. संविधान का अनुच्छेद 25 (1) लोगों को स्वतंत्र रूप से अपने धर्म को मानने और उसका प्रचार करने का मौलिक अधिकार प्रदान करता है.’ अदालत ने कहा, ‘हालांकि, उपरोक्त अधिकार एक पूर्ण अधिकार नहीं है, बल्कि सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता, स्वास्थ्य के मामले में भारतीय संविधान के भाग 3 के अन्य प्रावधानों के तहत आने वाले प्रतिबंधों के अधीन है.’

अदालत ने कहा कि इस तर्क को स्वीकार नहीं किया जा सकता कि अजान की आवाज याचिकाकर्ता के साथ-साथ अन्य धर्म के लोगों को प्राप्त मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है.

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