आनंद शर्मा ने कहा है कि गुलाम नबी आजाद का त्यागपत्र देना दुर्भाग्यपूर्ण है। बकौल आनंद, यह एक गंभीर घटनाक्रम है जिसका हर कांग्रेस जन को दुख होगा। उन्होंने इसे अपने लिए झटका बताया है। हालांकि उन्होंने कहा कि इस स्थिति को टाला जा सकता था। हम आशा कर रहे थे कि हमारे उठाए विषयों पर गंभीर आत्ममंथन होगा लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ। इसीलिए सामूहिक निर्णय लेने की बात कर रहे थे किंतु अफसोस है कि उस प्रक्रिया को समाप्त कर दिया गया। ऐसा उन्होंने एक समाचार एजेंसी को बताया।
गौरतलब है कि आनंद शर्मा इन दिनों शिमला आए हैं और यहां आने से पूर्व उन्होंने हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की चुनाव संचालन समिति से यह कहते हुए त्यागपत्र दे दिया था कि उनके लिए और कोई विकल्प नहीं बचा है। इसी प्रकार उन्होंने यह भी कहा था कि वह अपने आत्मसम्मान को बचाने के लिए चुनाव संचालन समिति से त्यागपत्र दे रहे हैं। ठीक इसी तरह गुलाम नबी आजाद ने भी जम्मू कश्मीर में एक राज्य समिति से त्यागपत्र दे दिया था।
समझा जा रहा है कि आज आनंद शर्मा दिल्ली लौट जाएंगे और सूत्रों के अनुसार उनकी बातचीत गुलाम नबी आजाद के साथ होगी। क्या आनंद शर्मा भी त्यागपत्र दे रहे हैं, इस विषय पर उनके करीबी लोगों का कहना है कि ऐसा एकदम संभव नहीं है किंतु दूसरे गुट से जुड़े लोगों का कहना है कि अब वह वही करेंगे जो गुलाम नबी आजाद ने किया। आनंद शर्मा हिमाचल से दिल्ली के लिए निकल गए हैं। मूलत: शिमला के रहने वाले आनंद ने तीन दिन शिमला में कांग्रेस के कई नेताओं के साथ भेंट की। हिमाचल प्रदेश में आनंद शर्मा को वीरभद्र सिंह गुट का विरोधी समझा जाता था। किंतु जब भी चुनावी अवसर आते थे, आनंद वीरभद्र सिंह की बात को नहीं टालते थे।