पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के बीच जारी सैन्य गतिरोध के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने पड़ोसी देश से दो टूक कहा कि सीमा के हालात ही भारत-चीन संबंधों की स्थिति को तय करेंगे। एशिया सोसायटी नीति संस्थान के शुभारंभ के अवसर पर बोलते हुए विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुधार, क्षेत्रीय सहयोग, संपर्क और एशिया के भीतर अंतर्विरोधों के प्रबंधन सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी बात की।
उन्होंने कहा कि एशिया का अधिकांश भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि निकट भविष्य में भारत और चीन के बीच संबंध कैसे विकसित होते हैं। उन्होंने कहा कि सही रास्ते पर लौटने और टिकाऊ समझौतों के लिए संबंधों को तीन चीजों को आधारित होना चाहिए- पहला पारस्परिक संवेदनशीलता, दूसरा पारस्परिक सम्मान और तीसरा पारस्परिक हित।
उन्होंने कहा कि उनकी वर्तमान स्थिति निश्चित रूप से आप सभी को अच्छी तरह से पता है। मैं केवल यह दोहरा सकता हूं कि सीमा की स्थिति संबंधों की स्थिति का निर्धारण करेगी। दरअसल, भारतीय और चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख में दो साल से अधिक समय से आमने-सामने हैं। उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता के परिणामस्वरूप दोनों पक्ष क्षेत्र के कई क्षेत्रों में हट गए हैं। उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता का अंतिम दौर पिछले महीने हुआ था, लेकिन गतिरोध को कम करने में विफल रहा।
इससे पहले ब्राजील दौरे के दौरान जयशंकर ने कहा था कि चीन ने सीमा समझौतों का अनादर किया है और दोनों देशों के बीच गलवां घाटी में हुए संघर्ष की छाया आपसी रिश्तों पर पड़ी है। इसके कारण द्विपक्षीय संबंध बेहद कठिन दौर से गुजर रहे हैं। जयशंकर ने यहां भारतीय समुदाय के लोगों के एक कार्यक्रम में कहा था कि चीन के साथ 1990 के दशक से हमारा समझौता है, जिसके तहत सीमावर्ती इलाके में बड़ी संख्या में सैनिक टुकड़ियां ले जाना प्रतिबंधित है। उन्होंने इसका अनादर किया। आपको पता ही है गलवां घाटी में क्या हुआ। वह समस्या अब तक नहीं सुलझी है और उसने निश्चित रूप से एक छाया डाल दी है। चीन के साथ सीमा पर वर्तमान हालत के बारे में उन्होंने कहा कि रिश्ता एकतरफा नहीं हो सकता और इसे बनाए रखने के लिए आपसी सम्मान जरूरी है। वे हमारे पड़ोसी हैं।
2020 से शुरू हुआ तनाव
भारत-चीन के बीच अप्रैल-मई 2020 में लद्दाख के फिंगर एरिया, गलवां घाटी, हॉट स्पिंग्र और कोगरंग नाला क्षेत्रों में तनाव आरंभ हुआ था। इसकी परिणति जून में गलवां घाटी में खूनी संघर्ष के रूप में हुई थी।
विदेश मंत्री से मिले ऑस्ट्रेलिया के पूर्व पीएम केविन रुड
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री केविन रुड सोमवार सुबह विदेश मंत्री जयशंकर से मिले। दोनों नेताओं ने वर्तमान वैश्विक मुद्दों पर बातचीत की। बैठक के बाद ट्वीट में जयशंकर ने बताया कि हमेशा की तरह दुनिया के मुद्दों पर बातचीत रुचिकर रही। पूर्व ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री रुड इन दिनों संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की-मून के साथ न्यू एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट को भारत में लांच करने के लिए नई दिल्ली में हैं। इसमें बताया गया है कि कैसे भारत शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करेगा। नवंबर 2021 में ग्लासगोव के कोप26 में हुई वर्ल्ड लीडर समिट के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह घोषणा कर दुनिया को चौंका दिया था कि भारत 2070 तक शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त कर लेगा।