यह दो ट्रक चालकों की व्यथा-कथा है। मुज़फ्फरनगर के मिमलाना रोड का निवासी जावेद एक कैंटर (छोटा ट्रक) चला कर परिवार का भरण पोषण कर रहा था। उपक्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (ए.आर.टी.ओ.) कार्यालय ने देनदारी अथवा अन्य किन्हीं कारणों से जावेद का चालान काटकर उस पर 35000 रुपये का जुर्माना लगा दिया। उसने परिवहन विभाग को देने के लिए 12000 रुपये उधार भी ले लिए थे किन्तु शेष रकम का प्रबंध न होने से जावेद बहुत ही परेशान था। जावेद की दो पत्नियां थीं- अफसाना और हिना। दोनों को जावेद की इस परेशानी से बड़ा मानसिक आघात लगा। आखिरकार 4 सितम्बर को अफसाना व हिना ने गेहूं में रखने वाला कीटनाशक खा कर जान दे दी।
बिल्क़ुल ऐसी ही घटना खतौली क्षेत्र के ट्रक चालक नरेश की है। नरेश के भाई कपिल पाल ने मीडिया को बताया कि जब उसका भाई मुज़फ्फरनगर से गांव लौट रहा था तब ए.आर.टी.ओ. मुज़फ्फरनगर ने ग्राम सराय के पास उसे दौड़ा लिया। ट्रक के आगे अपनी गाड़ी लगाकर नरेश को पकड़ लिया। अभद्रता व गली-गलौच की और 53000 रुपये का चालान काट दिया। परिवहन विभाग के लोगो की बद्तमीज़ी तथा 53000 हजार के भारी-भरकम जुर्माने के कारण ट्रक चालक नरेश सदमे में आ गया और ह्रदय आघात से उसकी मृत्यु हो गयी।
देश के कानून की किसी भी धारा के अंतर्गत ए.आर.टी.ओ. कार्यालय दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। परिवहन विभाग कार्यालय के आगे कैसे दलालों की दुकानें चलती हैं और दिन भर कैसे रकम झटकी जाती है, इससे आम लोग, सांसद, विधायक, मंत्री सभी परिचित हैं। यदि कोई जन-प्रतिनिधि इस असलियत से इंकार करता है तो समझिये वह सौ फीसदी झूठ बोल रहा है। जावेद व नरेश का मामला तो समझिये ख़त्म हो गया, उनके जब्तशुदा वाहनों से विभाग मतालबा वसूल लेगा लेकिन सत्ता व विपक्ष का कोई नेता बताये कि जावेद व नरेश के परिवारों को राहत दिलाने को उन्होंने क्या किया है?
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’