राहुल की खातिर सोनिया ने मनमोहन सिंह को बनाया था प्रधानमंत्री, ओबामा ने अपनी किताब में लिखा

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की लिखी किताब की अमेरिका में कितनी चर्चा है, नहीं मालूम लेकिन भारतीय राजनीति में उसने हलचल मचा रखी है। अपनी किताब में ओबामा ने राहुल गांधी को नर्वस लीडर तो कहा ही साथ ही मनमोहन सिंह और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की नेता सोनिया गांधी के बारे में भी बहुत कुछ लिख डाला है।

ओबामा में अपनी किताब ‘अ प्रॉमिस्ड लैंड’ ने सोनिया गांधी को लेकर लिखा है कि उन्होंने मनमोहनसिंह को सिर्फ इसलिए प्रधानमंत्री बनाया क्योंकि वह राहुल गांधी के लिए खतरा नहीं थे। ओबामा ने कहा कि सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह का चयन मुख्य रूप से इसलिए किया क्योंकि बिना किसी राजनीतिक आधार के बुजुर्ग सिख को अपने 48 वर्षीय बेटे राहुल गांधी के लिए किसी भी तरह से खतरा नहीं समझती थीं। 

उन्होंने इस किताब में  मनमोहन सिंह के आवास पर आयोजित एक डिनर पार्टी का भी जिक्र किया है। पार्टी के बारे में ओबामा ने लिखा है कि सोनिया बेलने से ज्यादा सुन रही थी और नीतिगत मामले से संबंधित बातों में बड़ी सावधानी से मनमोहन से मतभेद जता कर मामले को अपने बेटे की तरफ मोड़ दे रही थीं। ओबामा ने लिखा -मैं पूरी तरह समझ गया कि सोनिया बहुत चतुर और कुशाग्र बुद्धि की हैं और इसीलिए ताकतवर हैं। 

हालांकि अपनी किताब में उन्होंने मनमोहन सरकार की प्रशंसा भी की है। अपनी किताब में ओबामा ने कहा है कि 1990 के दशक में भारत की अर्थव्यवस्था और अधिक बाजार आधारित हुई, जिससे भारतीयों का असाधारण उद्यमिता कौशल सामने आया और इससे विकास दर बढ़ी, तकनीकी क्षेत्र फला- फूला और मध्यमवर्ग का धीरे- धीरे विस्तार हुआ।

किताब  में ओबामा ने 2008 के चुनाव प्रचार अभियान से लेकर पहले कार्यकाल के अंत में एबटाबाद (पाकिस्तान) में अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मारने के अभियान तक की अपनी यात्रा का विवरण दिया है। इस किताब के दो भाग हैं, जिनमें से पहला मंगलवार को दुनियाभर में जारी हुआ। इसमें ओबामा ने लिखा है, ‘कई मायनों में आधुनिक भारत को एक सफल गाथा माना जा सकता है जिसने बार-बार बदलती सरकार के झटकों को झेला, राजनीतिक दलों के बीच कटु मतभेदों, विभिन्न सशस्त्र अलगाववादी अभियानों और भ्रष्टाचार के घोटालों का सामना किया।’ 

ओबामा ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन के मुख्य शिल्पकार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे और वह इस प्रगति के उपयुक्त प्रतीक की तरह हैं: एक छोटे से, आमतौर पर सताए जाने वाले धार्मिक अल्पसंख्यक सिख समुदाय के सदस्य जो देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचे। एक विनम्र ‘टेक्नोक्रेट’ जिसने जीवन जीने के उच्च मानकों को लाकर और भ्रष्ट नहीं होने की प्रतिष्ठा अर्जित करके जनता का भरोसा जीता। राष्ट्रपति पद पर रहने के दौरान ओबामा 2010 और 2015 में दो बार भारत आए थे।

नवंबर 2010 के अपने भारत दौरे को याद करते हुए ओबामा ने कहा कि उनके और मनमोहन सिंह के बीच एक गर्मजोशी भरा सकारात्मक बंधन बना था। ओबामा ने लिखा कि सिंह उस समय भारत की अर्थव्यवस्था, सीमापार आतंकवाद तथा मुस्लिम विरोधी भावनाओं को लेकर चिंतित थे। 

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