लखीमपुर खीरी कांड: पुलिस की जल्दबाजी में छूटे अहम सुबूत

लखीमपुर खीरी के निघासन थाना इलाके में नाबालिग बहनों से सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में शुरू से ही कमजोर दिख रही तफ्तीश में खूब झोल-झाल है। मामले में फोरेंसिक एविडेंस, वैज्ञानिक जांच व इलेक्ट्रॉनिक सबूतों की जांच में गंभीर उपेक्षा सामने आई है। किशोरियों के शव के मौके पर मिलने की फोटोग्राफी, पेड़ की टहनियों और आसपास घास पर शव घसीटने के निशान खोजने और उनकी वीडियोग्राफी कराने के बजाय, जिस तरह आनन फानन पीड़िताओं के शव जबरन उतार कर पुलिस अपने साथ ले गई। उससे, जल्दबाजी की कार्रवाई ने तफ्तीश के अहम सबूतों को खतरे में डाल दिया है। यही नहीं शव के ऊपर जाहिरा चोट के निशान भी पंचनामा की लिखा पढ़ी में नहीं अंकित हो सके थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दुष्कर्म, चोटों के निशान व हत्या ने पुलिस की लापरवाही व खेल की कलई खोल दी थी।  

नहीं लिए गए मिट्टी के नमूने 
पुलिस की जल्दबाजी का आलम यह रहा कि शवों के घुटनों के बल नीचे जमीन पर लटकने के बाद उस जगह की मिट्टी और मृतक बहनों के घुटनों से घसीटते हुए स्थान की मिट्टी के नमूने भी नहीं लिए गए, जबकि ऐसे नमूनों में मृतक बहनों के शरीर की त्वचा के ऊतकों की पुष्टि के रसायनिक और वैज्ञानिक सुबूत मिल सकते।

आनन फानन संभावित सुबूतों को भी नष्ट कर दिया गया। रही सही कसर दो दिन से हो रही बारिश ने भी पूरी कर दी। लाजमी है कि घास पर पाए जा सकने वाले घसीटने के निशान भी पुलिस के हाथ से फिसल गए हैं। लाशों के नीचे पाई जा सकने वाली मिट्टी में त्वचा और ऊतकों के निशान विवेचना में काफी अहम मोड़ दे सकते थे।

गवाहों के कलम बंद बयान दर्ज नहीं, स्मेंगा टेस्ट भी नहीं
तिकुनिया हिंसा कांड के मामले में जिस तरह एसआईटी ने गवाहों के कलम बंद बयान दर्ज कराए थे, कि कहीं गवाह आगे चलकर मुकर न जाए, ऐसी आशंका के मद्देनजर इस मामले में भी निघासन पुलिस को तत्परता दिखानी चाहिए। 

अफसोस है कि पुलिस ने 72 घंटे बीतने के बावजूद किसी साक्षी का कलम बंद बयान दर्ज कराने की जहमत नहीं उठाई।

सामूहिक दुष्कर्म के मामले में पुलिस ने वैज्ञानिक सुबूतों को जुटाने के बजाय आरोपियों के इकबालिया बयान पर खासा ध्यान दे रही है, जबकि कानूनी जानकारों की माने तो पुलिस के समक्ष दिए गए इकबालिया बयान अदालती सुबूतों के रूप में चंद पल भी नहीं ठहर पाते।

सोमवार को दे सकते हैं पुलिस कस्टडी रिमांड की अर्जी
वही विवेचना कर रहे सीओ निघासन संजय नाथ तिवारी ने विशेष लोक अभियोजक बृजेश पांडे के पूछने पर बताया कि वह आरोपियों से पूछताछ के लिए सोमवार को अदालत में पुलिस कस्टडी रिमांड की अर्जी दे सकते हैं।

आरोपियों पर लगाई गई धाराओं के बारे में भी नए सिरे से फेरबदल कर सकते हैं, मगर सवाल यह भी है लगाई जा रही देरी के कारण कहीं महत्वपूर्ण सबूत मिट न जाएं।

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