बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को अपनी कैबिनेट का ऐलान किया. इसमें मेवालाल चौधरी को शिक्षा मंत्री बनाया गया है, जिसपर अब सवाल खड़े होने लगे हैं. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के तेजस्वी यादव ने इसपर नीतीश सरकार से सवाल पूछा है. दरअसल, एक नौकरी घोटाले में मेवालाल मुख्य आरोपी थे.
तेजस्वी यादव से पहले उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस नेता गौरभ वल्लभ ने भी मेवालाल चौधरी को मंत्री बनाए जाने पर सवाल खड़े किए थे.
तेजस्वी यादव का नीतीश कुमार पर तंज
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने लिखा, ‘मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति और भवन निर्माण में भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों में IPC 409, 420, 467, 468, 471 और 120B के तहत आरोपी मेवालाल चौधरी को शिक्षा मंत्री बनाकर क्या भ्रष्टाचार करने का इनाम एवं लूटने की खुली छूट प्रदान की है?’
इससे पहले कांग्रेस नेता गौरभ वल्लभ ने लिखा, ‘डबल इंजन की सरकार को एक इंजन तो मेवालाल चौधरी के रूप में मिल गया. अब भाजपा के प्रतिनिधि शासन बाबू को सिर्फ एक और इंजन की तलाश करनी है.’ वहीं आरजेडी पार्टी के ट्विटर अकाउंट से लिखा गया था कि ऐसे (मेवालाल चौदरी) लोगों को मंत्री परिषद में नौकरी देने के लिए 2020 की भाजपा नीत नीतीश सरकार को बहुत बहुत बधाई. ऐसे देंगे ये युवाओं को 19 लाख नौकरी.
मेवालाल चौधरी पर क्या हैं आरोप
नीतीश सरकार के शिक्षा मंत्री डॉ मेवालाल चौधरी तारापुर विधानसभा सीट से चुनकर आए हैं और उनपर नियुक्ति घोटाले का आरोप है. मेवालाल चौधरी तारापुर प्रखंड के कमरगांव गांव के निवासी है. राजनीति में आने से पहले वो 2015 तक भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति थे. 2015 में रिटायर होने के बाद वो राजनीति में आए. कृषि विश्वविद्यालय में नियुक्ति घोटाले का मामला सबौर थाने में 2017 में दर्ज किया गया था. हालांकि इस मामले में उन्होंने कोर्ट से अंतरिम जमानत ले ली थी. निगरानी कोर्ट पटना से गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद मेवालाल चौधरी भूमिगत हो गए थे. हालांकि कोर्ट में उनके खिलाफ अभी तक चार्जशीट दाखिल नहीं हो पाई है.