सिसोदिया की भगत सिंह से तुलना पर शहीदों के परिजन नाराज

शराब घोटाले के आरोपी आम आदमी पार्टी नेता मनीष सिसोदिया की क्रांतिकारी भगत सिंह से तुलना करने पर वीर शहीदों के परिवार नाराज हैं। क्रांतिकारियों के परिवार के लोगों का कहना है कि देश की आजादी के लिए जान गंवाने वाले वीर शहीदों से भ्रष्टाचार के आरोपियों की तुलना नहीं की जानी चाहिए। सस्ती राजनीति के लिए शहीदों और हिंदू देवी-देवताओं का अपमान नहीं किया जाना चाहिए। यह उनकी महान छवि को खराब करने की कोशिश है। शहीदों के परिवार के लोगों ने अमर उजाला को बताया कि दिल्ली सरकार ने उनसे सभी बसों पर (रेल इंजनों की तरह) तिरंगा छापने का वादा किया था, लेकिन चार साल बाद भी ये वादा अब तक नहीं निभाया गया है।

दिल्ली के शराब घोटाले में आरोपी उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से सीबीआई ने सोमवार को पूछताछ की। इस पर अरविंद केजरीवाल और अन्य आम आदमी पार्टी नेताओं ने सिसोदिया को भगत सिंह बताया, जिस पर बवाल खड़ा हो गया। क्रांतिकारियों के परिवार के लोगों की आपत्ति इसी मामले से संबंधित है।

नाम सस्ती राजनीति के लिए इस्तेमाल करना दुर्भाग्यपूर्ण

शहीद भगत सिंह के पौत्र यादवेंदर सिंह ने अमर उजाला से कहा कि दुनिया के इतिहास में भगत सिंह निःस्वार्थ बलिदान के प्रतीक के रूप में देखे जाते हैं। देश का बच्चा-बच्चा इनकी वीरता की कहानियों को पढ़कर उनके जैसा बनना चाहता है और देश के लिए कुछ करना चाहता है। ऐसे में भगत सिंह जैसे महान देश का सस्ती राजनीति के लिए इस्तेमाल करना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को इस तरह की राजनीति से बचना चाहिए।

अमर क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद के पौत्र अमित आज़ाद ने कहा कि इन क्रांतिकारियों ने देश को आज़ाद कराने के लिए ही अपनी जान दी थी। इसमें उनका कोई व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं था। वे अपने देश, संस्कृति और धर्म को बचाना चाहते थे। लेकिन केवल राजनीतिक लाभ के लिए कुछ लोग कभी हिंदू धर्म के देवी-देवताओं का अपमान कर रहे हैं तो कभी गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपी नेताओं की तुलना शहीदों से कर रहे हैं। यह उन वीर शहीदों का अपमान है। उन्होंने कहा कि इन क्रांतिकारियों की जीवनी हर भारतीय की धरोहर है, जिससे छेड़छाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जा सकती।

शहीदों के परिवार से अब तक नहीं निभाया ये वादा

अमित आजाद ने कहा कि रेल इंजनों की तरह दिल्ली की सभी बसों पर तिरंगा अंकित कराने के लिए उन्होंने दिल्ली सरकार से संपर्क किया था। परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने उन्हें इसका लिखित आश्वासन दिया था कि जल्द ही दिल्ली सरकार की सभी बसों पर तिरंगा छाप दिया जाएगा। उन्होंने यह भी स्वीकार किया था कि इससे देशवासियों में देशप्रेम को लेकर एक बेहतर संदेश दिया जा सकेगा। लेकिन चार साल बीत जाने के बाद भी अब तक इस पर अमल नहीं किया गया है।

हिंदुस्तान रिपब्लिकन आर्मी (लाला हरदयाल और अन्य क्रांतिकारियों के द्वारा 1924 में कानपुर में गठित, बाद में चंद्रशेखर आज़ाद और अन्य क्रांतिकारियों के द्वारा हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के रूप में पुनर्जीवित संस्था) के उपाध्यक्ष अमित आजाद ने बताया कि इसके पूर्व उन्होंने मई 2016 में केंद्र सरकार से सभी रेल इंजनों पर तिरंगा अंकित कराने के लिए संपर्क किया था। रिकॉर्ड तीन महीने के अंदर इससे संबंधित सभी निर्णय ले लिए गए।

उसी साल के स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) तक पहली खेप में ही देश के 10 हजार से ज्यादा रेल इंजनों पर इसे अंकित भी कर दिया गया। तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इसमें विशेष भूमिका निभाई थी। लेकिन दिल्ली सरकार ने 2019 में इसका वायदा किया था, लेकिन लगभग चार साल होने के बाद भी अब तक इसे पूरा नहीं किया गया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here