पूरे देश के साथ भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर भी दिवाली की धूम है। घरों से दूर एलओसी पर तैनात सेना के जवान भी दिवाली मनाने में मस्त हैं। नियंत्रण रेखा पर अंतिम चौकियों में तैनात सेना के जवान किस प्रकार दिवाली मना रहे हैं। इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं। इसको जानने के लिए पुंछ जिले में भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर समुद्रतल से दस हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित सेना की अंतिम चौकी पर पहुंच कर अमर उजाला ने जायजा लिया। विपरीत परिस्थितियों में प्रतिकूल मौसम क्षेत्र में दो दिन पहले गिरी पहली बर्फ से ढके क्षेत्र और दुश्मन की चौकियों से महज सौ मीटर की दूरी पर तैनात जवानों में भी दिवाली को लेकर भारी उत्साह देखने को मिला।
जहां जवान दो दिन पहले से ही दिवाली मनाने में जुटे हुए थे। इतनी ऊंचाई पर दुश्मन के सामने डटे यह जवान बर्फ की मोटी परत के बीच बंकरों के मध्य में मिठाइयां बांटते हुए एक दूसरे का मुंह मीठा कराते नजर आए। अपनी खुशियों को मानने के साथ भारत माता की जय और देशवासियों को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं के जयघोष लगा रहे थे। इससे न सिर्फ पूरे क्षेत्र गूंज उठा, बल्कि दुश्मन की चौकियों पर तैनात जवानों को भी इस बात का पता चल गया कि सेना के जवान दिवाली मना रहे हैं।
नियंत्रण रेखा पर दुश्मन के सामने दिन रात डटे इन जवानों में दिवाली को लेकर इतना जोश और उत्साह है कि वर्ष भर अंधेरे में रहने वाले बंकरों को भी यह जवान मोमबत्तियां जला कर रोशन कर रहे थे। इन जवानों का कहना है कि इन बंकरों में हम कभी रोशनी नहीं करते हैं। काफी करीब होने के कारण रोशनी होने पर दुश्मन को इस बात का पता चल जाता है कि बंकर कहां है, लेकिन दिवाली दीपों का त्योहार है। यह अंधेरा मिटाने के लिए मनाई जाती है तो हम अपनी इस अंतिम चौकी को भी किसी तरह अंधेरे में नहीं रहने देते हैं।
चाहे कुछ ही पलों के लिए हम यहां रोशनी करते हैं पर दिवाली पर हर कोने में रोशनी जरूर करते हैं। अपनी दिवाली मनाने की खुशियों के बीच सरहद के इन प्रहरियों के दिलों में अपने देश एवं देश वासियों का कितना ख्याल है। इस बात का पता उस समय चला जब अंतिम चौकी पर तैनात इन जवानों ने एक साथ एक स्वर में देशवासियों के लिए संदेश दिया कि आप अपने घरों में धूमधाम से दिवाली मनाएं। हम यहां सरहद पर डटे हुए हैं, और उस पार से होने वाली दुशमन की हर कोशिश को नाकाम बनाएंगे। उसके बुरे इरादों को चकनाचूर कर देंगे। दुश्मन की नापाक हरकत की आंच आप तक नहीं पहुंचने देंगे।
पहाड़ की उंची चोटी पर जहां उससे ऊपर केवल आसमान ही है तैनात जवानों का कहना है कि हम यहां आपस में इस प्रकार प्रेम से दिवाली मनाते हैं। हमें कभी इस बात का अहसास नहीं होता है कि हम अपनों से दूर हैं, यहां हम सब हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई न होकर भाई-भाई होते हैं। इस क्षेत्र में जवानों को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जैस-जैसे चुनौतियां बढ़ती हैं, जवानों का मनोबल भी दो गुना हो जाता है। उस पर होली, ईद, गुरुपर्व और दिवाली उनके आत्मविश्वास को और बढ़ा देता है।